
ग्वालियर. पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की आज पुण्यतिथि है। माधवराव सिंधिया का निधन 30 सिंतबर 2001 को एक विमान दुर्घटना में हो गया था। माधवराव सिंधिया के तत्कालीन सचिव रहे रमेश शर्मा ने माधवराव सिंधिया से जुड़ा एक किस्सा पत्रिका को बताया।
उन्होंने बताया कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया नरम दिल और संवेदनशील इंसान थे। उन्हें हमेशा गरीबों की फिक्र रहती थी। उन्होंने बताया कि नबंबर 1995 में सर्दी काफी थी, रात 12 बजे वह अशोक नगर से ईसागढ़ जा रहे थे। उस समय एक बुजुर्ग पेड़ के नीचे खड़ा ठिठुर रहा था। यह देखकर माधवराव सिंधिया ने अपनी गाड़ी रुकवायी और उस बुजुर्ग के पास गए। उन्होंने उस बुजुर्ग से पूछा- आप इतनी रात को के इस सुमसान सड़क पर क्यों खड़े हैं कोई परेशानी तो नहीं है हो ता बताइए।
महाराज से मिलना है
माधवराव सिंधिया की बात सुनकर उस बुजुर्ग ने कहा- मेरे महाराज यहां से निकलने वाले हैं और मुझे उनके दर्शन करने हैं। तभी रमेश शर्मा ने बुजुर्ग से कहा- यही आपके महाराज हैं। यह सुनकर बुजुर्ग माधवराव सिंधिया की तरफ बढ़ा तो माधवराव सिंधिया ने उस बुजुर्ग को गले लगा लिया और अपनी कीमती शॉल उस जुर्ग को ओढ़ा दी। माधवराव ने उस बुजुर्ग से कहा- ठंड बहुत उससे बचना।
फिर नहीं ओढ़ी शॉल
इसके बाद माधवराव सिंधिया चंदेरी पहुंचे। यहां वो चंदेरी गेस्ट हाउस में रूके थे। यहां पर उन्हें एक शॉल गिफ्ट की गई। लेकिन उन्होंने तीन दिनों तक उस शॉल को नहीं ओढ़ा। तब रमेश शर्मा ने कहा- आप शॉल क्यों नहीं ओढ़ते हैं तो माधव राव सिंधिया ने कहा- जब भी शॉल उठाता हूं उस गरीब बजुर्ग का चेहरा दिखाई देता है इसलिए शॉल नहीं ओढ़ता हूं।
कवि ने लिखा था संन्यासी है
रमेश शर्मा ने बताया कि माधवराव सिंधिया के निधन के बाद शोक पुस्तिका में एक कवि ने लिखा था- झोपड़ियों का हितचिंतक था, भले महल का वासी था। तन से राजकुमार सलोना, मन से पर संन्यासी था।
Updated on:
30 Sept 2019 10:59 am
Published on:
30 Sept 2019 10:57 am
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