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ग्वालियर

कुख्यात डाकुओं का गढ़ रहा है ये इलाका, अब मोदी सरकार इसे दिलाएगी विश्व में खास पहचान

डाकुओं और अपराधियों का गढ़ रह चुके चंबल के बीहड़ में मोदी सरकार ने खेती के जरिये विकास की योजना बनाई है।

ग्वालियरAug 05, 2020 / 03:22 pm

Faiz

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कुख्यात डाकुओं का गढ़ रहा है ये इलाका, अब मोदी सरकार इसे दिलाएगी विश्व में खास पहचान

ग्वालियर/ डाकुओं और अपराधियों का गढ़ रह चुके चंबल के बीहड़ में मोदी सरकार (Modi Government) ने खेती के जरिये विकास की योजना बनाई है। इसमें सरकार की मदद विश्व बैंक भी करेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, यहां 3 लाख हेक्टेयर से भी अधिक गैर-खेती योग्य बीहड़ भूमि (Bihad area) है, जिसे जैविक कृषि के लिए विकसित किया जाएगा। एक महीने के भीतर इसकी शुरुआती परियोजना रिपोर्ट पेश की जाएगी। सरकार का दावा है कि, इस क्षेत्र में खेती-किसानी व पर्यावरण में सुधार होगा। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। विश्व बैंक, मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों ने परियोजना पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

 

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कृषि बाजार, गोदाम व कोल्ड स्टोरेज भी होंगे विकसित

तोमर के मुताबिक, चंबल क्षेत्र के लिए पहले भी विश्व बैंक के सहयोग से बीहड़ विकास परियोजना प्रस्तावित थी, लेकिन कुछ कारणों से विश्व बैंक उस पर राजी नहीं हुआ। अब नए सिरे से इसकी शुरूआत की जा रही है। इस परियोजना में खेती के साथ-साथ कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज को भी विकसित किया जाएगा। तोमर के मुताबिक, क्षेत्र में चंबल नदी के किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई। इसलिए ये क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा जो बड़ी उपलब्धि होगी। जो चंबल एक्सप्रेस बनेगा, यहीं से गुजरेगा। प्रारंभिक रिपोर्ट बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक की जाएगी और आगे की बातें तय होंगी।

 

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चंबल नदी के किनारे जैविक खेती

मध्य प्रदेश में देश का सबसे ज्यादा आर्गेनिक क्षेत्रफल है, जिसे सिर्फ प्रमोट करने की जरूरत है, ताकि आर्गेनिक फार्मिंग और आगे बढ़ सके। प्रोजेक्ट को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम किया जाएगा। विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार के मुताबिक, विश्व बैंक मध्य प्रदेश में काम करने का इच्छुक है। परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है, देखना होगा। विश्व बैंक के ही अधिकारी एबल लुफाफा ने कहा कि, क्षेत्रीय स्तर पर भूमि इत्यादि की जो स्थितियां है, उन्हें समझते हुए प्रोजेक्ट पर विचार होगा। हम अन्य देशों का उदाहरण लेकर काम करने की तैयारी में हैं।

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