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पति की मृत्यु होने पर विधवा को मिलेगी ‘पारिवारिक पेंशन’, हाइकोर्ट का बड़ा फैसला

MP News:याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 की धारा 47 के तहत सेवा के दौरान मृत्यु होने पर विधवा को पारिवारिक पेंशन का अधिकार है।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक अहम आदेश में स्पष्ट किया है कि सरकारी सेवा में रहते हुए पति की मृत्यु हो जाने पर विधवा को पारिवारिक पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता, भले ही कर्मचारी ने 10 वर्ष की सेवा पूरी न की हो। कोर्ट ने भागोबाई बनाम मध्यप्रदेश शासन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन द्वारा पारिवारिक पेंशन से इनकार करने वाले आदेश को निरस्त कर दिया।

याचिकाकर्ता के पति की नियुक्ति 31 दिसबर 1996 को हैंडपंप मैकेनिक के पद पर हुई थी। सेवा के दौरान 6 अगस्त 2002 को उनका निधन हो गया। याचिकाकर्ता ने पारिवारिक पेंशन का दावा किया, लेकिन शासन ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि मृतक ने केवल 5 वर्ष 6 माह 8 दिन ही सेवा की है, जबकि पेंशन के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा आवश्यक है।

पारिवारिक पेंशन का अधिकार

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 की धारा 47 के तहत सेवा के दौरान मृत्यु होने पर विधवा को पारिवारिक पेंशन का अधिकार है। उन्होंने पूर्ववर्ती मामलों के फैसलों का हवाला दिया। शासन की ओर से आपत्ति जताई और बताया कि मृतक ने 10 वर्ष की सेवा पूरी नहीं की थी। अदालत ने यह कहते हुए सरकार की दलील खारिज कर दी कि नियम 43(2) केवल सेवानिवृत्ति पर लागू होता है, जबकि सेवा के दौरान मृत्यु में नियम 47 के अनुसार पारिवारिक पेंशन देनी अनिवार्य है।