27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

African Swine Fever: क्या है अफ्रीकी स्वाइन फीवर? जिसके फैलने से नासिक में सील हुआ पूरा इलाका, जानें इसके लक्षण और बचाव

African Swine Fever: नासिक में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का मामला। जानें लक्षण, बचाव के उपाय और वायरस का इंसानों पर असर। सतर्क रहें, सूअर सुरक्षा अपनाएं।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Dimple Yadav

Nov 24, 2025

African Swine Fever

African Swine Fever (photo- freepik)

African Swine Fever: महाराष्ट्र के नासिक में अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) के मामले की पुष्टि होने के बाद प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। शहर में एक एनजीओ के 9 सूअरों की मौत के बाद सैंपल जांच में इस वायरस की पुष्टि हुई, जिसके तुरंत बाद उस इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया। पशुपालन विभाग और प्रशासन ने संक्रमित क्षेत्र के चारों ओर एक किलोमीटर का दायरा सील करके व्यापक सैनिटाइजेशन और निगरानी शुरू कर दी है।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) क्या है? (What is African Swine Fever )

अफ्रीकी स्वाइन फीवर एक अत्यंत खतरनाक और तेजी से फैलने वाली वायरल बीमारी है, जो केवल घरेलू और जंगली सूअरों को प्रभावित करती है। इसकी खास बात यह है कि इसका कोई इलाज या वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं है। संक्रमित सूअरों की मृत्यु दर 90 से 100 प्रतिशत तक हो सकती है। वायरस लंबे समय तक सतहों, कपड़ों, गाड़ियों, जूतों और चारे पर जीवित रह सकता है। यह वायरस मनुष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाता और न ही इंसानों में फैलता है। लेकिन पशुपालन, मीट उद्योग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका बड़ा असर पड़ता है।

वायरस कैसे फैलता है?

ASF वायरस फैलने में बेहद तेज है। यह संक्रमित सूअरों के सीधे संपर्क से, दूषित चारे, पानी, बाड़े या वाहनों से, कपड़ों, जूतों, हाथों या उपकरणों पर लगे वायरस से, संक्रमित मांस या मांस उत्पादों के संपर्क से, जंगली सूअरों के मूवमेंट से फैल सकता है।
यही कारण है कि नासिक प्रशासन ने 1 से 3 किलोमीटर का पूरा इलाका सील कर दिया है और अगले तीन महीने तक किसी भी सूअर को रखने या लाने-ले जाने पर रोक लगा दी है।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर के लक्षण (african swine fever symptoms)

ASF के लक्षण काफी गंभीर होते हैं। इसमें अचानक उच्च बुखार, भूख खत्म होना, कमजोरी और सुस्ती, त्वचा पर गहरे लाल या काले धब्बे, उल्टी और सांस लेने में दिक्कत, नाक और आंखों से खून आना, अचानक मौत (कई मामलों में बिना लक्षण दिखे) इसी वजह से यह बीमारी तेजी से पूरे झुंड को खत्म कर देती है। अफ्रीकी स्वाइन फीवर मनुष्यों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। यह इंसानों में नहीं फैलता और न ही इंसानों को बीमार करता है।लेकिन फिर भी सावधानी जरूरी है, ताकि वायरस आगे न फैले।

रोकथाम और बचाव कैसे करें? (african swine fever treatment)

सूअर पालने वाले लोग बाहर से आने के बाद कपड़े,जूते बदलें। बाड़ों और वाहनों को रोज सैनिटाइज करें। चारा सुरक्षित स्थान पर रखें। अगर किसी क्षेत्र में अचानक कई सूअरों की मौत होती है, तो तुरंत पशुपालन विभाग को बताना जरूरी है। संचारी बीमारियों के दौरान एक जगह से दूसरी जगह सूअर ले जाना जोखिम बढ़ाता है।