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AI-Powered Eye Test : आंखों से दिखेगा शुगर और दिल की बीमारी का खतरा

Eyes Can Reveal Diabetes and Heart Risk : मशीन लर्निंग और AI से आई टेस्ट अब और आसान। रेटिना तस्वीरें न सिर्फ आंखों की बल्कि शुगर, हार्ट डिज़ीज जैसी बीमारियों का भी सुराग देती हैं।

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भारत

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Manoj Vashisth

Sep 17, 2025

AI-Powered Eye Test

AI-Powered Eye Test : आंखों से दिखेगा शुगर और दिल की बीमारी का खतरा (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

AI-Powered Eye Test : मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI-Powered Eye Test) से अब आई टेस्ट करने का तरीका बदल रहा हैं। पहले आंखों की बीमारियों का इलाज तब होता था जब समस्या सामने आ जाती थी लेकिन अब AI की मदद से डॉक्टर पहले से ही बीमारी के खतरे का अंदाजा लगा सकते हैं।

रेटिना (आंख का पिछला हिस्सा) की तस्वीरें बिना किसी दर्द या सुई के हमें आंखों की नसों और तंत्रिकाओं की हालत दिखा देती हैं। यह सिर्फ आंखों की सेहत नहीं बतातीं, बल्कि शरीर की कई और बीमारियों का सुराग भी देती हैं।

स्ट्रोक या दिल की बीमारी का खतरा बताएंगी आंखे (Eyes Can Reveal Diabetes and Heart Risk)

जैसे अगर रेटिना की छोटी नसें पतली हो रही हों, तो ये भविष्य में हाई ब्लड प्रेशर का संकेत हो सकता है। वहीं अगर रेटिना की बड़ी नसें ज्यादा चौड़ी दिखें, तो यह डायबिटीज से जुड़ी किडनी की परेशानी का संकेत दे सकती हैं। रेटिना की नसों-धमनियों की मोटाई का आपस में अनुपात देखकर डॉक्टर अंदाजा लगा सकते हैं कि भविष्य में स्ट्रोक या दिल की बीमारी का खतरा तो नहीं है।

पिछले दो दशकों में रेटिना की ब्लड वेसल्स की इमेजिंग में रुचि बढ़ी है। रेटिना फंडस फोटोग्राफी, ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी-एंजियोग्राफी (OCT-A) या अनुकूली प्रकाशिकी जैसी रेटिना की तस्वीरें लेने की तकनीक ने हमारे परिसंचरण तंत्र पर सटीक डेटा प्राप्त करना संभव बना दिया है।

AI-Powered Eye Test : फंडस फोटोग्राफी का उपयोग आंख के अंदर की तस्वीरें लेने के लिए किया जाता है, जिसमें रेटिना, ऑप्टिक तंत्रिका शीर्ष, मैक्युला, रेटिना रक्त वाहिकाएं, कोरॉइड और विट्रियस जैसी संरचनाएं शामिल होती हैं।

आंखों की ये तस्वीरें उन बीमारियों का पता लगाने में काम आती हैं, जिनसे अंधापन हो सकता है लेकिन जिनका इलाज या बचाव किया जा सकता है। जैसे डायबिटीज से होने वाली रेटिना की बीमारी, उम्र बढ़ने पर धुंधला दिखना और ग्लूकोमा।

पिछले एक दशक में, ऐसे सॉफ़्टवेयर विकसित करने के लिए काफी शोध चल रहा है जो इन इमेजिंग तकनीकों से रेटिना संवहनी नेटवर्क का स्वचालित विश्लेषण कर सके और रोगी की धमनियों और शिराओं का सटीक विवरण प्रदान कर सके।

हाल ही में ‘ओकुलोमिक्स’ नाम की एक नई तकनीक सामने आई है। इसमें रेटिना की तस्वीरों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी वजह से आंख की बारीक नसों (रेटिना माइक्रोवैस्कुलर) से जुड़ी जानकारियों में लोगों की रुचि बढ़ गई है।

जनरेटिव एआई और आई सर्जरी (AI-Powered Eye Test)

एआई तकनीक अब मैक्युलर छेद जैसी आंखों की बीमारी में सर्जरी के नतीजे सुधारने में मदद कर रही है। एआई सर्जरी से पहले और बाद की तस्वीरों से सीखकर यह अनुमान लगा सकता है कि ऑपरेशन सफल होगा या नहीं। इससे डॉक्टर बेहतर योजना बना सकते हैं और मरीज को सही जानकारी मिलती है।

डायबिटीज की जांच

ब्लड शुगर (HbA1c) जांच के लिए अब खून की जरूरत नहीं होगी। शोधकर्ता रेटिना की तस्वीरों से ही शुगर लेवल मापने के लिए एआई आधारित तकनीक विकसित कर रहे हैं। यह तरीका सस्ता, आसान और भारत जैसे देशों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।