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Cardiac Aging: कम उम्र में बूढ़ा हो रहा दिल, Millennials और Gen Z को क्यों सताने लगी है Early Heart Disease?

Cardiac Aging: हार्ट डिजीज अब सिर्फ बूढ़ों की बीमारी नहीं रही। 20–40 साल के युवाओं में भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है। जानें Cardiac Aging, खराब लाइफस्टाइल और स्ट्रेस कैसे दिल को असली उम्र से 10–20 साल बूढ़ा बना देते हैं।

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भारत

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Dimple Yadav

Aug 31, 2025

Cardiac Aging

Cardiac Aging (photo- freepik)

Cardiac Aging: दुनिया में हार्ट डिजीज खतरनाक बीमारियों में से एक मानी जाती है। यह बीमारी 50 साल के बाद लोगों में समान्य मानी जाती है। लेकिन अब डॉक्टर एक नया और डराने वाला ट्रेंड सामने आया है। मिलेनियल्स और यहां तक कि Gen Z में भी हार्ट से जुड़ी समस्याएं तेजी से सामने आ रही हैं। इसे ही कार्डियक एजिंग कहा जा रहा है। यानी दिल की उम्र असली उम्र से ज्यादा हो जाना।

दरअसल, हमारी जन्मदिन वाली उम्र (Chronological Age) और दिल की असली हालत (Biological Age) हमेशा एक जैसी नहीं होती। ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल, वजन और किडनी की सेहत दिल की उम्र तय करते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि ज्यादातर युवाओं का दिल उनकी असली उम्र से 10–20 साल बड़ा हो चुका है। मोटापा, डायबिटीज या हाई बीपी वाले लोगों का दिल तो कभी-कभी 40 से 45 साल बूढ़ा निकला है।

दिल उम्र से पहले हो रहा बूढ़ा

इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी लाइफस्टाइल। लंबे समय तक ऑफिस में बैठकर काम करना, एक्सरसाइज़ ना करना, जंक फूड, ज्यादा चीनी-नमक, अल्कोहल और नींद की कमी सब मिलकर दिल पर बोझ डाल रहे हैं। ऊपर से लगातार सोशल मीडिया, लेट-नाइट मेल्स और वर्क प्रेशर, दिमाग को कभी आराम नहीं करने देते। ये स्ट्रेस शरीर को हमेशा “फाइट-ऑर-फ्लाइट मोड” में रखता है। यानी दिल की धड़कन तेज, बीपी हाई और स्ट्रेस हार्मोन लगातार बढ़ते रहते हैं।

कम उम्र में क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा?

अगर ये हाल महीनों और सालों तक चलता रहे, तो दिल और नसों में सूजन (Inflammaging) होने लगती है। धीरे-धीरे धमनियाँ सख्त हो जाती हैं, मसल्स को नुकसान पहुंचता है और समय से पहले हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि आजकल बर्नआउट (Burnout) को सिर्फ मानसिक समस्या नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे हार्ट अटैक और हाइपरटेंशन का बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाने लगा है।

ये है हार्ट एजिंग का कारण

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में होने वाली मोटापा, हाई बीपी और खराब डाइट की आदतें बड़े होकर भी पीछा नहीं छोड़तीं। कई मामलों में जेनेटिक वजहें भी होती हैं, जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी, जो अचानक 30s की उम्र में सामने आती है। आज के युवा मरीज अक्सर थकान, धड़कन तेज होना या सीने में भारीपन जैसी शिकायत लेकर आते हैं, और टेस्ट में उनके दिल की नसों में ब्लॉकेज या शुरुआती खराबी निकलती है।

ये है बचाव के कारण

कुल मिलाकर, आज की भागदौड़ वाली जिंदगी हमारे दिल पर उम्र से पहले चोट कर रही है। अगर हम अपनी डाइट, नींद, एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान नहीं देंगे, तो दिल की उम्र और भी तेजी से बढ़ती जाएगी। और हार्ट अटैक जैसी बीमारियां जल्दी दस्तक दे सकती हैं।