7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Eye Donation Myths: चश्मा लगाने वाले आंख डोनेट नहीं कर सकते? स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताई पूरी बात

Eye Donation Myths: क्या चश्मा लगाने वाले आंख दान नहीं कर सकते? स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मिथक को गलत साबित किया है। जानें, क्यों चश्मा पहनने वाले और मोतियाबिंद के मरीज भी आई डोनेशन कर सकते हैं।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Dimple Yadav

Sep 03, 2025

Eye Donation Myths

Eye Donation Myths (photo- freepik)

Eye Donation Myths: आंखों का दान (Eye Donation) बेहद ही पुण्य का काम माना जाता है। इससे किसी अंधेरे में जी रहे इंसान को रोशनी मिल सकती है। लेकिन हमारे समाज में आंखों के दान को लेकर कई तरह के मिथ्य फैलें हुए हैं। सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि जो लोग चश्मा लगाते हैं या जिनकी आंखों में हल्की-फुल्की समस्या है, वे आंखें दान नहीं कर सकते। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मिथक को तोड़ते हुए साफ किया है कि यह पूरी तरह गलत धारणा है। तो आइए जानते हैं क्या कहा है स्वास्थ्य मंत्रालय ने।

चश्मा पहनने वाले भी कर सकते हैं आई डोनेशन

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health & Family Welfare) ने इस पर कहा है कि जिन लोगों की आंखों की रोशनी कमजोर है, मोतियाबिंद (Cataract) है या वे चश्मा पहनते हैं, वे भी अपनी आंखें दान कर सकते हैं। असल में, आंख दान में पूरी आंख नहीं बल्कि कॉर्निया (Cornea) का उपयोग किया जाता है। कॉर्निया आंख का वह पारदर्शी हिस्सा है जो देखने में मदद करता है।

चश्मा पहनने या सामान्य नेत्र रोग होने से कॉर्निया पर कोई असर नहीं पड़ता। इसलिए ऐसे लोग भी बिना किसी झिझक के आंख दान कर सकते हैं और किसी की जिंदगी में उजाला भर सकते हैं।

आंख दान से जुड़ी अन्य भ्रांतियां

कई लोग यह भी मानते हैं कि उम्रदराज लोग या जिनकी आंखों का ऑपरेशन हुआ है, वे आई डोनेशन नहीं कर सकते। जबकि हकीकत यह है कि 60-70 साल की उम्र के लोग भी आंखें दान कर सकते हैं, अगर उनकी कॉर्निया स्वस्थ है। कुछ विशेष बीमारियों (जैसे कैंसर, एड्स या कुछ संक्रमण) में दान संभव नहीं होता, लेकिन आम नेत्र रोग या चश्मा पहनने जैसी स्थिति में यह पूरी तरह संभव है।

आंख दान क्यों है जरूरी?

भारत में लाखों लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस (Corneal Blindness) से जूझ रहे हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है और हर साल हजारों लोगों को रोशनी वापस दिलाने के लिए कॉर्निया की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर लोग आंख दान से जुड़ी मिथकों को छोड़ दें और सही जानकारी को अपनाएं तो कई जिंदगियां अंधेरे से बाहर आ सकती हैं।