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क्या आप जानते हैं खाली पेट नहीं खानी चाहिए दवाएं

Medicines should not be taken on an empty stomach : कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो पानी में जल्दी घुलने वाली होती हैं इसलिए इन्हें खाली पेट लेने के लिए कहते हैं । डॉक्टर अमूमन दवा को खाली पेट या कुछ खाने के बाद लेने के लिए कहते हैं। कई बार हमारे मन में सवाल आता है कि ऐसा क्यों?

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medicines should not be taken on an empty stomach

Medicines should not be taken on an empty stomach : कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो पानी में जल्दी घुलने वाली होती हैं इसलिए इन्हें खाली पेट लेने के लिए कहते हैं । डॉक्टर अमूमन दवा को खाली पेट या कुछ खाने के बाद लेने के लिए कहते हैं। कई बार हमारे मन में सवाल आता है कि ऐसा क्यों? असल में विशेषज्ञ मरीज की स्थिति, शारीरिक संरचना, रोग की प्रकृति या दवा के निर्माण में प्रयोग हुए सॉल्ट के अनुपात के आधार पर दवा लेने की सलाह देते हैं।

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सही समय -
खाने के बाद : रोगों के इलाज में प्रयोग में ली जाने वाली ऐसी कई दवाएं हैं जो अमाशय में जाकर एसिडिटी व अल्सर जैसी समस्याओं का कारण बनती हैं। दर्द निवारक दवाएं इसका उदाहरण हैं इसलिए इन्हें खाने के कुछ समय बाद ही लेने के लिए कहा जाता है।

खाली पेट : कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो पानी में जल्दी घुलने वाली होती हैं इसलिए इन्हें खाली पेट लेने के लिए कहते हैं। यदि इन दवाओं को खाने के बाद लिया जाए तो ये भोजन के साथ मिलकर घुलने में अधिक समय लगाती हैं जिससे इनका असर कम हो जाता है।

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खाने से आधा घंटा पहले : कुछ दवाएं ऐसी हैं जिनका असर लेने के आधे से एक घंटे के बीच होता है। भोजन करने से पहले इन्हें लेना अमाशय सक्रिय हो जाता है।

कोर्स पूरा लें -
ऐसे कई रोग हैं जिनके इलाज में मरीज को दवा का पूरा कोर्स लेना होता है। हालांकि कई बार मरीज कुछ दिनों में आराम मिलने पर ही दवाएं लेना बंद कर देते हैं जो कि गलत है क्योंकि इस स्थिति में संक्रमण कम तो हो जाता है लेकिन खत्म नहीं। इसलिए दवा का कोर्स पूरा करना चाहिए।

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सिरप करें शेक -
सिरप में लिक्विड भाग फ्लेवर और गाढ़ा भाग दवा के बारीक कणों का होता है। प्रयोग में न लेने पर जब सिरप एक ही जगह काफी समय से रखा रहता है तो ये बारीक कण बोतल की निचली सतह पर बैठ जाते हैं इसलिए इसे लेने से पहले अच्छी तरह शेक (हिलाएं) करें।

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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।