
Harish Rai Thyroid Cancer (photo- x @MissMalini)
Harish Rai Thyroid Cancer: कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री इन दिनों शोक में है। मशहूर एक्टर हरीश रॉय, जिन्हें फिल्म KGF में चाचा के रोल के लिए जाना जाता है, का 55 साल की उम्र में थायरॉयड कैंसर से निधन हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे पिछले कुछ सालों से इस बीमारी से जूझ रहे थे और इलाज भी चल रहा था। उन्होंने खुद बताया था कि शूटिंग के दौरान उनकी गर्दन में सूजन दिखाई दी थी, लेकिन उन्होंने उस समय इसे छिपा लिया। बाद में पता चला कि ये स्टेज 4 थायरॉयड कैंसर था।
थायरॉयड हमारे गले के बीच में स्थित एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि (gland) होती है, जो हार्मोन बनाकर शरीर का मेटाबॉलिज्म, दिल की धड़कन और तापमान नियंत्रित करती है। जब इस ग्रंथि में असामान्य कोशिकाएं (abnormal cells) बनने लगती हैं, तो उसे थायरॉयड कैंसर कहा जाता है। थायरॉयड कैंसर के कई प्रकार होते हैं।
Papillary thyroid cancer: सबसे आम और धीरे-धीरे बढ़ने वाला।
Follicular thyroid cancer: दूसरा सबसे सामान्य प्रकार।
Medullary और Anaplastic thyroid cancer: कम पाए जाते हैं लेकिन ज्यादा खतरनाक होते हैं। अगर बीमारी का पता जल्दी चल जाए तो इसका इलाज आसान होता है, लेकिन देर होने पर यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है।
अक्सर इस कैंसर की शुरुआत धीरे-धीरे होती है और शुरुआती चरण में कोई खास लक्षण नहीं दिखते। लेकिन कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। गले या गर्दन में सूजन या गांठ महसूस होना। आवाज में लगातार भर्राहट या बदलाव रहना। निगलने या सांस लेने में तकलीफ होना। गर्दन में लिम्फ नोड्स का फूलना। बिना वजह खांसी का लंबे समय तक बने रहना। अगर ऐसे कोई लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।
रेडिएशन एक्सपोजर से हो सकता है। अगर बचपन या पहले किसी समय सिर या गले में रेडिएशन दिया गया हो। परिवार में किसी को थायरॉयड कैंसर रहा हो। महिलाओं में ये पुरुषों से ज्यादा पाया जाता है। ओवरवेट या मोटे लोगों में इसका खतरा बढ़ जाता है।
हालांकि इसे पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ आदतें अपनाकर जोखिम कम किया जा सकता है। सिर और गले की अनावश्यक स्कैनिंग से बचें। हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज जरूर करें। अगर परिवार में किसी को यह बीमारी रही हो, तो नियमित जांच करवाएं। समय-समय पर देखें कि कोई नई सूजन या गांठ तो नहीं है।
थायरॉयड कैंसर का इलाज आमतौर पर सर्जरी, रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरपी, या थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट से किया जाता है। इलाज के बाद मरीज को नियमित फॉलो-अप और ब्लड टेस्ट करवाते रहना चाहिए ताकि बीमारी दोबारा न हो।
Updated on:
07 Nov 2025 10:53 am
Published on:
07 Nov 2025 10:39 am
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