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दिल की बीमारी अब उम्र नहीं देखती, युवा महिलाएं कैसे बन रही हैं Heart Attack का शिकार?

Heart Attack In Young Women: दिल की बीमारी अब सिर्फ उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं रही। अब युवा महिलाओं के लिए भी यह खतरा देखने को मिल रहा है। हाल ही में एक रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें आखिर क्यों युवा महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं।

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भारत

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MEGHA ROY

Sep 20, 2025

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Rising heart disease in young women|फोटो सोर्स – Freepik

Heart Attack Rates Rise In Younger Women: पहले हार्ट अटैक जैसी बीमारियां आमतौर पर उम्रदराज लोगों में ही देखी जाती थीं, लेकिन हाल की एक रिसर्च में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है जहां 40-50 साल की उम्र की महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले देखने को मिलते हैं। वहीं, आजकल के युवा महिलाओं में भी यह समस्या देखने को मिल रही है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ अहम जानकारियां आखिर क्यों युवा महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं।

रिसर्च में क्या अहम बातें सामने आईं?

अमेरिका की मेयो क्लिनिक की हालिया रिसर्च, जो जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित हुई है, में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जहां युवा महिलाओं के हार्ट अटैक्स की बड़ी वजह ब्लॉकेज ही नहीं, बल्कि कई अन्य फैक्टर्स भी सामने आए हैं। साफ शब्दों में कहें तो कोलेस्ट्रॉल बढ़ने या धमनियों में प्लाक जमने से ही हार्ट अटैक नहीं होता, बल्कि तनाव, हार्मोनल बदलाव और कुछ लाइफस्टाइल आदतें भी इस खतरे को कई गुना बढ़ा रही हैं।

मानसिक तनाव और लगातार दबाव

आज की महिला कई भूमिकाओं में सक्रिय रहती है काम का दबाव, घर के काम, और परिवार की जिम्मेदारियां। लगातार तनाव और चिंता के कारण हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर और सूजन की समस्या बढ़ती है, जो धीरे-धीरे हृदय को कमजोर कर देती है।

गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएं

गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह या प्रीक्लेम्पसिया जैसी परेशानियां आने वाली महिलाओं के दिल की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। कई बार महिलाएं और डॉक्टर भी इन समस्याओं को हृदय रोग से जोड़ना भूल जाते हैं।

ऑटोइम्यून बीमारियों का प्रभाव

लुपस और रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियां महिलाओं में अधिक सामान्य हैं। ये बीमारियां शरीर में लगातार सूजन पैदा करती हैं, जिससे दिल की धमनियों को नुकसान होता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

हार्मोन में बदलाव

एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के दिल को प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, समय से पहले मेनोपॉज या हार्मोन थैरेपी इस सुरक्षा कवच को कमजोर कर सकती है, जिससे दिल की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।

छुपी हुई स्वास्थ्य समस्याएं

कई बार महिलाएं ब्लड प्रेशर, शुगर या कोलेस्ट्रॉल की जांच कराना भूल जाती हैं। साथ ही, डॉक्टर भी कभी-कभी दिल से जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।

लाइफस्टाइल के कारण

अनियमित भोजन, जंक फूड का सेवन, मोटापा, धूम्रपान और लंबे समय तक बिना हिले-डुले बैठना दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण अलग क्यों होते हैं?

युवा महिलाएं अक्सर "क्लासिक" हार्ट अटैक सिम्पटम्स जैसे तेज सीने का दर्द नहीं झेलतीं। उनके लक्षण अलग और कई बार भ्रामक हो सकते हैं। कुछ संकेत अटैक से कई दिन पहले भी नजर आ सकते हैं, लेकिन महिलाएं इन्हें सामान्य कमजोरी या स्ट्रेस समझकर नजरअंदाज कर देती हैं।

  • लगातार थकान जो आराम के बाद भी ठीक न हो
  • गर्दन, जबड़े, पीठ या पेट में दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ
  • चक्कर या मतली
  • सीने में दबाव या जलन जैसा अहसास

हार्ट अटैक से बचने के लिए कैसे करें बचाव?

  • नियमित रूप से हेल्थ चेकअप करवाएं जैसे कि ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच को हल्के में न लें।
  • तनाव से बचने और स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए योग, ध्यान (मेडिटेशन) और पर्याप्त नींद लेना आपके दिल को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकता है।
  • अपनी रोजमर्रा की लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं। संतुलित आहार का सेवन करें, नियमित व्यायाम करें और धूम्रपान (स्मोकिंग) से दूरी बनाएं ।
  • अगर लगातार थकान, सांस फूलना या सीने में असामान्य दबाव महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर की गई सावधानी जान बचा सकती है।