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Lung Cancer Awareness Month: नॉन-स्मोकर्स में भी बढ़ रहा लंग कैंसर का खतरा, डॉक्टरों ने बताए 5 शुरुआती संकेत

Lung Cancer Awareness Month: नवंबर का महीना लंग कैंसर अवेयरनेस मंथ है। जानिए क्यों फेफड़ों का कैंसर सिर्फ स्मोकर्स को नहीं बल्कि नॉन-स्मोकर्स को भी होता है। डॉक्टरों के अनुसार हल्के लक्षण भी इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं। समय पर जांच और सही लाइफस्टाइल से बचाव संभव है।

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भारत

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Dimple Yadav

Nov 04, 2025

Lung Cancer Awareness Month

Lung Cancer Awareness Month (photo- gemini ai)

Lung Cancer Awareness Month: नवंबर का महीना फेफड़ों के कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने का समय यानी (Lung Cancer Awareness Month ) है। यह वहीं समय है जिसमें हमें सोचना है कि क्या हम अपने फेफड़ों की सही देखभाल कर रहे हैं या नहीं। बहुत से लोगों का मानना है कि फेफड़ों का कैंसर सिर्फ उन लोगों को होता है जो स्मोकिंग करते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि नॉन-स्मोकर्स (जो धूम्रपान नहीं करते) भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इसका कारण हैं प्रदूषण, पैसिव स्मोक (दूसरों के धुएं का असर) और जेनेटिक फैक्टर।

लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे लगातार खांसी रहना, सांस फूलना, या हमेशा थकान महसूस करना। लेकिन डॉक्टर कहते हैं कि अगर कैंसर की शुरुआत में ही पहचान कर ली जाए, तो इलाज के नतीजे बहुत अच्छे मिलते हैं। तो आइए डॉक्टर से जानते हैं इसके शुरुआती लक्षण।

लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण

इस मामले में मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की डाक्टर अनादी पचौरी का कहना है कि अक्सर लोग सोचते हैं कि खांसी या गले की खराश मौसम की वजह से है, लेकिन अगर खांसी तीन हफ्तों से ज्यादा बनी रहे, सांस लेने में तकलीफ हो, आवाज भारी हो जाए, या थकान हमेशा बनी रहे, तो इसे हल्के में न लें। कभी-कभी बलगम में खून के निशान भी दिख सकते हैं। ये लक्षण तुरंत जांच करवाने का इशारा देते हैं। एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल के डॉ. अरुण कुमार गोयल कहते हैं कि लगातार खांसी, वजन घटना, सीने या पीठ में दर्द, बार-बार सीने में इंफेक्शन जैसे लक्षण भी फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। स्मोकर्स या जो प्रदूषित जगहों पर रहते हैं, उन्हें खास सतर्क रहना चाहिए।

स्मोकिंग कैसे बढ़ाती है खतरा?

दोनों डॉक्टरों का कहना है कि सिगरेट के धुएं में हजारों हानिकारक केमिकल होते हैं जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। जितना ज्यादा और लंबे समय तक कोई स्मोक करता है, कैंसर का खतरा उतना ही बढ़ता है। लेकिन सिर्फ स्मोकर्स ही नहीं, प्रदूषण और दूसरों के धुएं के संपर्क में रहने वाले लोग भी रिस्क में होते हैं।

फेफड़ों के कैंसर से बचाव के आसान तरीके

सबसे जरूरी है स्मोकिंग पूरी तरह छोड़ना, क्योंकि इसका कोई सेफ लेवल नहीं होता। पैसिव स्मोक यानी दूसरों के धुएं से भी दूरी बनाएं। प्रदूषण और केमिकल्स वाले माहौल से बचें। घर में हवादार माहौल, एयर प्यूरिफायर और मास्क का इस्तेमाल करें।अगर आपने लंबे समय तक स्मोक किया है तो डॉक्टर से लो-डोज सीटी स्कैन की सलाह लें। रेगुलर हेल्थ चेकअप और फ्लू या निमोनिया की वैक्सीन भी मददगार हैं।

डाइट और लाइफस्टाइल का असर

डॉ. पचौरी का कहना है कि एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाना जैसे हरी सब्जियां, फल, और नट्स फेफड़ों को मज़बूत रखते हैं। रोज़ाना एक्सरसाइज करने से सांस की क्षमता बढ़ती है। प्रोसेस्ड फूड, शराब और प्रदूषित माहौल से दूरी रखें। डॉ. गोयल कहते हैं कि हर दिन कम से कम 30 से 45 मिनट एक्सरसाइज करें, वजन कंट्रोल में रखें, और प्राणायाम जैसी डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और शरीर डिटॉक्स होता है।

एक्स-स्मोकर्स को क्या करना चाहिए?

दोबारा स्मोकिंग शुरू न करें और हर साल फेफड़ों की जांच करवाएं। क्विट करने के बाद भी हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, सही खानपान रखें और नियमित चेकअप करवाते रहें। धीरे-धीरे शरीर खुद को रिपेयर करता है और फेफड़े बेहतर काम करने लगते हैं।