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Premature Heart Disease: तनाव, अनिद्रा और प्रदूषण! भारत में युवाओं के लिए खतरे की घंटी बन रहा प्रिमेच्योर हार्ट डिजीज

Early Heart Attack in Young Adults: भारत में हृदय रोग अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गए हैं। युवा वर्ग भी अब इस गंभीर समस्या से प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रिमेच्योर हार्ट डिजीज युवाओं में समय से पहले हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण बन रहा है।

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भारत

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Anamika Mishra

Sep 27, 2025

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क्या है प्रिमेच्योर हार्ट डिजीज? (Image Source: Gemini AI)

Causes of Premature Heart Disease: हार्ट डिजीज अब केवल बूढ़े लोगों की ही बीमारी नहीं रह गई है। पूरे भारत में, युवा पेशेवर और 30-40 की उम्र के लोग, जिनमें से कई स्वस्थ दिखते हैं, उनमें भी इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण जेनेटिक, तनाव, खराब जीवनशैली, खराब डाइट और मधुमेह की बढ़ती दरें शामिल हैं। वहीं, लंबे समय तक काम करना, नींद की कमी और वायु प्रदूषण हृदय क्षति को और बढ़ा देते हैं । कई भारतीयों में, लक्षण सामने आने से पहले ही हृदय चुपचाप बूढ़ा हो जाता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्या होता हैप्रिमेच्योर हार्ट डिजीज

प्रिमेच्योर हार्ट डिजीज तब होती है जब दिल की बीमारी 40–50 वर्ष की उम्र से पहले विकसित हो जाती है। यह अक्सर कौरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) के रूप में सामने आती है।

शरीर देता है ये संकेत

भारतीय अक्सर उच्च रक्तचाप, मोटापे और मधुमेह को सामान्य मान लेते हैं। लेकिन, ये तत्काल चेतावनियां हो सकती हैं। लगातार सीने में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना या बिना किसी कारण के थकान को कभी नजरअंदाज न करें। ऐसे समय पर पहचान और तुरंत चिकित्सा बेहद जरूरी है।

बचाव के तरीके

अगर आप हृदय रोग के खतरे को कम करना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि दैनिक व्यायाम, संतुलित आहार, तंबाकू से परहेज और स्वास्थ्य मानकों पर निगरानी, जैसी चीजें ​​जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं, आप -

स्वस्थ आहार अपनाएं

  • हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, कम तैलीय भोजन
  • नियमित व्यायाम
  • रोजाना 30–45 मिनट की हल्की एक्सरसाइज जैसे वॉक, योग या स्ट्रेचिंग
  • तनाव कम करें
  • मेडिटेशन, प्राणायाम, हॉफ ब्रेक्स और हॉबीज
  • धूम्रपान और शराब से बचें
  • हृदय रोग का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है
  • नियमित स्वास्थ्य जांच
  • ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर स्तर समय-समय पर चेक करें

चिकित्सा

न्यूनतम इनवेसिव एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग से 30-45 मिनट के भीतर बंद नसों का इलाज किया जा सकता है। ये सर्जरी अक्सर कलाई या कमर में एक छोटा सा चीरा लगाकर की जाती है। ज्यादातर मरीज एक दिन में चलने-फिरने लगते हैं और कुछ ही दिनों में घर लौट जाते हैं। लेकिन असली नतीजे इस बात पर निर्भर करते हैं कि मरीज कितनी जल्दी अस्पताल पहुंचता है। हर घंटे की देरी हृदय की मांसपेशियों को और नुकसान पहुंचाती है।