
क्या है प्रिमेच्योर हार्ट डिजीज? (Image Source: Gemini AI)
Causes of Premature Heart Disease: हार्ट डिजीज अब केवल बूढ़े लोगों की ही बीमारी नहीं रह गई है। पूरे भारत में, युवा पेशेवर और 30-40 की उम्र के लोग, जिनमें से कई स्वस्थ दिखते हैं, उनमें भी इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण जेनेटिक, तनाव, खराब जीवनशैली, खराब डाइट और मधुमेह की बढ़ती दरें शामिल हैं। वहीं, लंबे समय तक काम करना, नींद की कमी और वायु प्रदूषण हृदय क्षति को और बढ़ा देते हैं । कई भारतीयों में, लक्षण सामने आने से पहले ही हृदय चुपचाप बूढ़ा हो जाता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्रिमेच्योर हार्ट डिजीज तब होती है जब दिल की बीमारी 40–50 वर्ष की उम्र से पहले विकसित हो जाती है। यह अक्सर कौरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) के रूप में सामने आती है।
भारतीय अक्सर उच्च रक्तचाप, मोटापे और मधुमेह को सामान्य मान लेते हैं। लेकिन, ये तत्काल चेतावनियां हो सकती हैं। लगातार सीने में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना या बिना किसी कारण के थकान को कभी नजरअंदाज न करें। ऐसे समय पर पहचान और तुरंत चिकित्सा बेहद जरूरी है।
अगर आप हृदय रोग के खतरे को कम करना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि दैनिक व्यायाम, संतुलित आहार, तंबाकू से परहेज और स्वास्थ्य मानकों पर निगरानी, जैसी चीजें जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं, आप -
न्यूनतम इनवेसिव एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग से 30-45 मिनट के भीतर बंद नसों का इलाज किया जा सकता है। ये सर्जरी अक्सर कलाई या कमर में एक छोटा सा चीरा लगाकर की जाती है। ज्यादातर मरीज एक दिन में चलने-फिरने लगते हैं और कुछ ही दिनों में घर लौट जाते हैं। लेकिन असली नतीजे इस बात पर निर्भर करते हैं कि मरीज कितनी जल्दी अस्पताल पहुंचता है। हर घंटे की देरी हृदय की मांसपेशियों को और नुकसान पहुंचाती है।
Published on:
27 Sept 2025 01:03 pm
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