
Workplace Burnout : कार्यस्थल पर बढ़ते तनाव और काम के दबाव के चलते, थकान और अनिद्रा जैसे बर्नआउट (Burnout) के प्रारंभिक लक्षण सामने आ रहे हैं। हाल ही में पुणे में एक युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट, एना सेबेस्टियन पेरायिल की काम के अत्यधिक दबाव के कारण मृत्यु ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संकेतों की पहचान कर समय पर मदद लेना आवश्यक है।
बेंगलुरु स्थित एस्टर व्हाइटफील्ड अस्पताल की लीड कंसल्टेंट और एचओडी, डॉ. सुचिस्मिता राजमन्या बताती हैं कि उनके पास हर सप्ताह लगभग 6-10 मरीज आते हैं, जो तनाव और थकावट की शिकायत करते हैं। उनका कहना है कि बर्नआउट (Burnout) के शारीरिक लक्षणों में क्रोनिक थकान, अनिद्रा और बार-बार बीमार पड़ना शामिल है। साथ ही, मानसिक रूप से ये लक्षण झुंझलाहट, भावनात्मक थकावट और काम में प्रेरणा की कमी के रूप में भी देखे जाते हैं।
Workplace Burnout : कार्यस्थल पर तनाव का प्रभाव सिर्फ मानसिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार, कार्यस्थल पर असंतुलन और अत्यधिक दबाव एट्रियल फाइब्रिलेशन (AFib) जैसी दिल की बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है। तनाव के कारण कर्मचारी अक्सर काम से ऊब और मानसिक थकान महसूस करने लगते हैं, जिसका सीधा असर उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता पर पड़ता है।
Workplace Burnout : परामर्श मनोवैज्ञानिक दिव्या मोहिंद्रू ने बर्नआउट (Burnout) और तनाव से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। नियमित रूप से हाइड्रेटेड रहें, पौष्टिक भोजन का सेवन करें, और दिन में कम से कम 45 मिनट का व्यायाम करें। यह न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी आपको बेहतर महसूस कराएगा।
मोहिंद्रू का कहना है कि व्यावहारिक जीवन और भावनात्मक सोच के बीच संतुलन बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि बर्नआउट (Burnout) को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। जब कोई व्यक्ति अत्यधिक थकावट महसूस करे, तो इसे गंभीरता से लें और सही समय पर सहायता प्राप्त करें। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात करना जरूरी है ताकि इस समस्या का समय रहते समाधान हो सके।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हर चार में से एक कर्मचारी को कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बात करने में कठिनाई होती है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि 56 प्रतिशत कर्मचारी बर्नआउट से प्रभावित हैं, जो कि एक चिंता का विषय है।
बर्नआउट (Burnout) के लक्षणों को पहचानना और सही समय पर उपचार लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यस्थल पर बढ़ते तनाव और थकावट को नज़रअंदाज़ करने की बजाय, हमें खुद की देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।
Published on:
20 Sept 2024 03:13 pm
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