Blood Cancer Therapy : कैंसर के इलाज में एक बड़ी खबर आई है, जिससे हजारों मरीजों को फायदा होने की उम्मीद है. इंग्लैंड की NHS (नेशनल हेल्थ सर्विस) में "Trojan Horse" थेरेपी नाम का एक नया इलाज शुरू किया गया है, जो दुनिया में पहली बार इस्तेमाल हो रहा है. यह थेरेपी खास तौर पर मायलोमा (Myeloma) नाम के एक ब्लड कैंसर के लिए है. (NHS blood cancer therapy)
मायलोमा एक ऐसा कैंसर है जो हमारी हड्डियों के बीच पाए जाने वाले स्पंजी बोन मैरो में मौजूद प्लाज्मा कोशिकाओं (plasma cells) को प्रभावित करता है. ये कोशिकाएं हमारी इम्यून सिस्टम का हिस्सा होती हैं. इस थेरेपी का पूरा नाम बेलांटामैब माफोडाटिन (belantamab mafodotin) है, और इसे "ट्रोजन हॉर्स" इसलिए कहते हैं क्योंकि यह ग्रीक कहानी के ट्रोजन हॉर्स की तरह काम करता है. जैसे ट्रोजन हॉर्स में सैनिक छिपकर शहर में घुस गए थे, वैसे ही यह दवा भी कैंसर कोशिकाओं के अंदर जहरीली दवा को चुपके से पहुंचा देती है.
शरीर के किस अंग में जल्दी फैलता है Cancer
यह थेरेपी एक तरह की बहुत ही एडवांस कीमोथेरेपी है. इसमें एक जानलेवा कीमोथेरेपी दवा को एक एंटीबॉडी (antibody) से जोड़ दिया जाता है. एंटीबॉडीज़ हमारे शरीर में इन्फेक्शन से लड़ने वाले सिपाही की तरह होते हैं. लेकिन इस थेरेपी में इस्तेमाल होने वाली एंटीबॉडीज को खास तौर पर डिजाइन किया गया है ताकि वे सिर्फ कैंसर वाली प्लाज्मा कोशिकाओं पर मौजूद निशानों को पहचान सकें.
तो होता ये है कि ये एंटीबॉडीज सीधे कैंसर वाली कोशिकाओं तक जाती हैं, उनकी सतह से चिपक जाती हैं और फिर कैंसर कोशिकाएं उन्हें अपने अंदर ले लेती हैं. एक बार अंदर जाने के बाद, ये एंटीबॉडीज़ अपने साथ लाई हुई जहरीली दवा को छोड़ देती हैं, जिससे कैंसर कोशिकाएं मर जाती हैं.
लंबी राहत: इस थेरेपी से मायलोमा को मौजूदा इलाजों की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा समय तक रोका जा सकता है. क्लीनिकल ट्रायल्स से पता चला है कि यह कैंसर को 13 महीने के बजाय तीन साल तक रोक सकती है.
कम साइड इफेक्ट्स: यह आम कीमोथेरेपी से बेहतर है क्योंकि यह सीधे कैंसर कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे शरीर के बाकी हिस्सों को कम नुकसान होता है. इससे साइड इफेक्ट्स कम होते हैं. हालांकि, कैंसर कोशिकाएं खत्म होने के बाद कुछ बची हुई कीमोथेरेपी दवा शरीर में फैल सकती है, जिससे आंखों में सूखापन और धुंधलापन जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.
बेहतर जीवन: इस थेरेपी से मरीजों को बीमारी से मुक्त एक सामान्य जीवन जीने का मौका मिलता है. पॉल सिल्वेस्टर, 60 साल के शख्स, जिन्हें यह थेरेपी मिली है, वे इसे जीवन बदलने वाला बताते हैं. उन्हें दो साल पहले मायलोमा हुआ था, और दूसरे इलाज से उन्हें महीनों तक आइसोलेशन में रहना पड़ता. लेकिन इस थेरेपी से वे कुछ ही हफ्तों में ठीक हो गए और अब अपनी जिंदगी का लुत्फ उठा रहे हैं.
यूके में करीब 33,000 लोग मायलोमा के साथ जी रहे हैं. यह नई दवा तब दी जाएगी जब पहला इलाज काम नहीं करेगा. इससे हर साल लगभग 1,500 मरीजों को फायदा हो सकता है. NICE (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस) ने इसे NHS के लिए लागत प्रभावी पाया है.
प्रोफेसर मार्टिन कैसर, जो मायलोमा पर रिसर्च कर रहे हैं कहते हैं कि ये बहुत ही स्मार्ट दवाएं हैं और इनके साइड इफेक्ट्स का अंतर बाकी दवाओं से बहुत कम है. हालांकि मायलोमा को अभी पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रोफेसर कैसर का मानना है कि इस तरह की दवाएं कार्यात्मक इलाज (functional cure)" की दिशा में एक बड़ा कदम हैं. उनका मानना है कि अगले पांच सालों में लंबी अवधि के लिए ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 50% से ऊपर जा सकता है.
ये एंटीबॉडी-ड्रग-कंजुगेट (Antibody-Drug-Conjugate) नाम की दवाएं सिर्फ मायलोमा के लिए नहीं, बल्कि कई और कैंसर के लिए भी बनाई जा रही हैं. स्तन कैंसर, पेट और आंत के कैंसर पर भी रिसर्च चल रही है.
यह थेरेपी ब्रिटेन में GSK कंपनी ने विकसित की है, जिसमें शुरुआती रिसर्च स्टीवनएज में और पहले क्लीनिकल ट्रायल्स लंदन में हुए. मायलोमा यूके चैरिटी की शेलाग मैककिनले और स्वास्थ्य मंत्री कैरिन स्मिथ दोनों ने इस मंजूरी को "क्रांतिकारी" बताया है और इसे यूके के लिए कैंसर के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि कहा है.
Published on:
13 Jun 2025 05:53 pm