
वर्ल्ड रेटिना डे 2025 | आंखों की सेहत और बचाव उपाय : (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Retina Health Eye Care Tips : विश्व रेटिना दिवस 2025 आंखों के स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डालता है। विशेषज्ञ लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण डायबिटिक रेटिनोपैथी और मैक्यूलर डिजनरेशन जैसी रेटिना संबंधी बीमारियों में वृद्धि पर ध्यान दे रहे हैं। नियमित रूप से आंखों की जांच के जरिए समय रहते इसका पता लगाना गंभीर दृष्टि हानि को रोकने के लिए जरूरी है। स्वस्थ आहार लेना, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना और संतुलित लाइफ स्टाइल अपनाना रेटिना के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आजकल मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। लंबे समय तक स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखना, अनियमित खान-पान और डायबिटीज जैसी बीमारियां हमारी आंखों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं। रेटिना से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और इनमें सबसे आम हैं डायबिटिक रेटिनोपैथी, एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन, ग्लूकोमा और रेटिनल स्ट्रोक।
डायबिटीज: भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसी वजह से डायबिटिक रेटिनोपैथी सबसे बड़ी चिंता का कारण बन रही है। लगभग 1.2 करोड़ भारतीय इससे प्रभावित हैं और इनमें से 20% लोगों की नजर स्थायी रूप से प्रभावित हो चुकी है।
स्क्रीन टाइम: बच्चों और युवाओं में लगातार स्क्रीन देखने से मायोपिया यानी चश्मे का नंबर बढ़ना आम हो गया है। ज्यादा मायोपिया होने से रेटिना डिटैचमेंट और मैक्युलर डिजनरेशन का खतरा भी बढ़ जाता है।
लाइफस्टाइल: मोटापा, नींद की कमी और तनाव से भी रेटिना से जुड़ी कई बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
उम्र बढ़ने के साथ हल्की-फुल्की समस्याएं आना सामान्य है, जैसे नजदीक देखने में दिक्कत, रात में रोशनी बिखरना या ज्यादा देर स्क्रीन देखने के बाद आंखें थकना।
लेकिन अगर अचानक फ्लोटर्स (तैरते धब्बे), फ्लैश (चमक), टेढ़ी-मेढ़ी चीजें दिखना या अचानक दृष्टि धुंधली होना जैसी शिकायतें हों, तो ये रेटिना रोग के गंभीर संकेत हैं। ऐसे में तुरंत विशेषज्ञ से रेटिना चेकअप कराना जरूरी है।
रेटिना से जुड़ी बीमारियों का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि शुरुआती दौर में इनके लक्षण साफ नजर नहीं आते। जब तक समस्या महसूस होती है, तब तक अक्सर नुकसान हो चुका होता है।
रेटिनल डिटैचमेंट: शुरुआती स्टेज पर छोटी लेज़र प्रक्रिया से ठीक हो सकता है, वरना सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है।
मैक्युलर डिजनरेशन: एंटी-VEGF इंजेक्शन समय रहते लगाए जाएं तो पढ़ने और ड्राइविंग जैसी दृष्टि लंबे समय तक बचाई जा सकती है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी: शुगर कंट्रोल और नियमित जांच से 90% मामलों में अंधेपन से बचा जा सकता है।
संतुलित आहार: हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, रंग-बिरंगे फल, नट्स और ओमेगा-3 से भरपूर चीज़ें (जैसे मछली, चिया सीड्स) खाएं।
लाइफस्टाइल: रोजाना व्यायाम करें, तनाव और नींद की गड़बड़ी से बचें।
स्क्रीन हैबिट्स: 20-20-20 नियम अपनाएं – हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
सुरक्षा: धूप में निकलते वक्त अच्छे सनग्लासेस पहनें और आंखों को चोट से बचाएं।
रेगुलर चेकअप: डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीज साल में कम से कम एक बार डाइलेटेड रेटिना जांच जरूर कराएं।
लोग मानते हैं कि जब तक नजर साफ है, आंखें पूरी तरह स्वस्थ हैं। लेकिन सच यह है कि शुरुआती दौर में कई रेटिना रोग बिना किसी लक्षण के बढ़ते रहते हैं। इसलिए केवल अच्छी नजर पर भरोसा न करें नियमित आंखों की जांच ही असली सुरक्षा है।
रेटिना हमारी आंखों का सबसे संवेदनशील हिस्सा है। एक छोटी सी लापरवाही से जिंदगीभर का नुकसान हो सकता है। इसलिए स्क्रीन के शौक को सीमित करें, स्वस्थ खानपान अपनाएं और समय-समय पर आंखों की जांच जरूर कराएं। याद रखें, सही वक्त पर उठाया गया कदम आपकी दृष्टि को आने वाले सालों तक सुरक्षित रख सकता है।
Published on:
28 Sept 2025 12:00 pm
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