
How sleep style affects brain and body|फोटो सोर्स – Freepik
Sleep Patterns Health Sign: क्या आप गहरी नींद में खो जाते हैं या रातभर सिर्फ करवटें बदलते रहते हैं? क्या आपको लगता है कि नींद सिर्फ थकान मिटाने के लिए होती है? तो आपको बता दें कि भरपूर नींद सेहत के लिए कितनी ज़रूरी है, क्योंकि नींद हमारे शारीरिक स्वास्थ्य, सोचने के तरीके और यहां तक कि हमारे व्यवहार पर भी गहरा असर डालती है।
हाल ही में एक नई अंतरराष्ट्रीय स्टडी (Published in PLOS Biology)में यह पाया गया है कि हर इंसान का सोने का तरीका अलग होता है, और ये आदतें हमारे मूड, दिमागी क्षमताओं और सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित करती हैं। रिसर्च में 5 अलग-अलग स्लीप पैटर्न की पहचान की गई है। आइए जानते हैं, ये स्लीप पैटर्न क्या हैं और आपकी नींद की आदतें आपकी सेहत के बारे में क्या कहती हैं।
अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें कम नींद में भी लगता है कि सब ठीक है, तो जरा रुकिए। विज्ञान कहता है कि रोज़ाना छह से सात घंटे से कम सोने से आपके दिमाग और शरीर दोनों पर असर पड़ता है।कम नींद से मूड में चिड़चिड़ापन, सहानुभूति में कमी और जल्दबाज़ी में फैसले लेने की आदतें बढ़ सकती हैं। साथ ही, हार्मोनल असंतुलन के चलते मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
अगर आपकी नींद रात में कई बार टूटती है, तो इसका असर आपके दिमाग की मरम्मत प्रक्रिया पर पड़ता है। नींद के दौरान दिमाग खुद को रिपेयर करता है और जरूरी टॉक्सिन्स बाहर निकालता है। नींद बार-बार टूटने से ये प्रक्रिया अधूरी रह जाती है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है, चिड़चिड़ापन आता है और ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है।ऐसे लोग अकसर ज्यादा तनाव, घबराहट और गुस्से का सामना करते हैं और कुछ मामलों में नशे की आदत भी विकसित हो सकती है।
आजकल बहुत से लोग सोने के लिए नींद की गोलियां, मेलाटोनिन सप्लिमेंट्स या कुछ अन्य उपायों का सहारा लेते हैं। ये चीज़ें शुरुआत में फायदेमंद लग सकती हैं, लेकिन लंबे समय तक इन पर निर्भर रहना सही नहीं है।
ऐसे लोगों में सामाजिक संतुष्टि भले ही ज्यादा दिखे, लेकिन उनकी याददाश्त कमजोर होती है और दूसरों की भावनाओं को समझने की क्षमता घट जाती है। नींद की दवाइयां प्राकृतिक नींद के चक्र को बिगाड़ देती हैं, जिससे दिमाग को पूरी तरह आराम नहीं मिल पाता।
सिर्फ नींद की मात्रा नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी बेहद जरूरी है। कुछ लोग भले ही 7-8 घंटे सोते हों, लेकिन उनकी नींद गहरी नहीं होती। ऐसे लोगों में थकान, नींद न आना (इंसोम्निया), और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं आम हैं।
इस तरह की नींद से डिप्रेशन, एंग्जायटी और मानसिक थकावट का खतरा बढ़ता है। लगातार खराब नींद से इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो सकता है और व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ सकता है।
अगर आप पर्याप्त नींद लेने के बावजूद दिन में थकान और नींद महसूस करते हैं, तो इसके पीछे कोई छुपी हुई सेहत की समस्या हो सकती है।जैसे स्लीप एपनिया, खून की कमी, थायरॉइड की गड़बड़ी या विटामिन की कमी। इस स्थिति में लोग दिन में सुस्ती, काम में मन न लगना और छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ने जैसी दिक्कतों का सामना करते हैं।अक्सर ये समस्या तब होती है जब नींद के माहौल में कुछ छोटी-छोटी चीजें जैसे तेज लाइट, बहुत ज्यादा कैफीन या चिंता नींद की गुणवत्ता को खराब कर देती हैं।
Updated on:
11 Oct 2025 09:30 am
Published on:
11 Oct 2025 09:28 am
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