तिथि
सूर्योदय से अर्धरात्रि 04.43 मिनट तक पूर्णा संज्ञक पंचमी तिथि रहेगी। पश्चात नंदा संज्ञक षठी तिथि लगेगी। पंचनी तिथि में नागों की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्त होते हैं और श्रेष्ठ लक्ष्मी भी प्राप्त होती है। षठी तिथि में कार्तिकय की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपसंपन्न, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है।
नक्षत्र
सूर्योदय से अर्धरात्रि 04.09 मिनट तक उग्र क्रूर भरणी नक्षत्र रहेगा। पश्चात मिश्र साधारण कृतिका नक्षत्र लगेगा। अन्य कार्य सभी प्रकार के मंगल कार्यों के लिए भरणी नक्षत्र का निषिद्ध माने गए हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए भरणी नक्षत्र का सवर्दा त्याग करना चाहिए। फसल की बुआई, हल चलाना, वृक्षारोपण जैसे कार्यों के लिए कृतिका नक्षत्र उपयुक्त होते हैं।
योग
सूर्योदय से दोपहर 04.03 मिनट तक ऐन्द्र योग रहेगा। पश्चात वैधृति योग लगेगा। ऐन्द्र योग की स्वामी पित्तरदेव माने जाते हैं, जबकि ब्रह्म योग के स्वामी दितिदेव माने जाते हैं।
विशिष्ट योग
ऐन्द्र योग बेहद शुभ योग माना जाता है। इसमें किये गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं। वैधृति योग को अशुभ योग माना जाता है। समस्त शुभ कार्यों में वैधृति योग का त्याग करना चाहिए।
आज का शुभ मुहूर्त
अनुकूल समय में वसितु विशेष का विक्रय करने के लिए शुभ मुहूर्त है।
श्रेष्ठ चौघड़िए
प्रातः 06.40 मिनट से 09.38 मिनट तक अमृत का चौघड़िया रहेगा। प्रातः 09.37 मिनट से 11.06 मिनट तक शुभ का चौघड़िया रहेंगे। एवं दोपहर 02.02 मिनट सांयः 06.28 मिनट से सायंः 06.28 मिनट तक क्रमशः चंचल लाभ व अमृत के चौघड़िया रहेंगे।
करण
सूर्योदय से दोपहर 04.25 मिनट तक बव नामक करण लगेगा। इसके पश्चात बालव नामक करण लगेगा। इसके पश्चात कौलव नामक करण लगेगा।
व्रतोत्सव
व्रत/पर्वः श्री याज्ञवल्क्य जयंती।
चंद्रमाः सूर्योदय से लेकर संपूर्ण दिवस पर्यन्त तक चंद्रमा अग्नि तत्व की मेष राशि में रहेंगे।
दिशाशूलः पूर्व दिशा में। अगर हो सके तो आज पूर्व दिशा में की जाने वाली यात्रा को टाल दें।
राहु कालः 08.09.13 से 09.37.37 तक राहु काल वेला रहेगी। इस समय में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए।