तिथि
सूर्योदय से से रात्रि 08.50 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी। पश्चात द्वादशी तिथि लगेगी। एकादशी तिथि को विश्वेदेवों की भली प्रकार से पूजा करनी चाहिए। वे भक्त को संतान, धन-धान्य और पृथ्वी प्रदान करते हैं। द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करके मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में वैसे ही पूज्य हो जाता है, जैसे किरणमौली भगवान सूर्य पूज्य हैं।
नक्षत्र
सूर्योदय से अर्धरात्रि 12.10 मिनट तक क्षिप्र लघु पुष्य नक्षत्र रहेगा। पश्चात तीक्ष्ण दारुण आश्लेषा नक्षत्र लगेगा। फसल की बुआई, हल चलाना, वृक्षारोपण, जैसे कार्यों के लिए पुष्य एवं आश्लेषा दोनों नक्षत्र उपयुक्त होते हैं। अध्यापन, धार्मिक प्रवचन, पुस्तकालय आदि के संचालन हेतु पुष्य नक्षत्र शुभ रहते हैं। अन्य कार्य सभी मंगल कार्यों के लिए आश्लेषा नक्षत्र निषिद्ध माने गए हैं।
योग
सूर्योदय से अर्धरात्रि 01.04 मिनट तक अतिगंड योग रहेगा पश्चात सुकर्मा योग लगेगा। अतिगंड योग के स्वामी चंद्रदेव माने जाते हैं। , जबकि सुकर्मा योग के स्वामी इंद्रदेव माने गए हैं।
विशिष्ट योग
अतिगंड योग अशुभ होता है, जबकि सुकर्मा योग शुभ होता है। किसी भी कार्य के लिए अतिगंड योग के प्रथम 2.24 मिनट का त्याग करना चाहिए। सुकर्मा योग में कोई भी कार्य किये जा सकते हैं।
आज का शुभ मुहूर्त
अनुकूल समय में रविपुष्य अमृत योग में खरीदारी करने के लिए शुभ मुहूर्त है।
श्रेष्ठ चौघड़िए
प्रातः 08.04 मिनट से दोपहर 12.32 मिनट तक क्रमशः चंचल लाभ व अमृत के चौघड़िया रहेंगे। दोपहर 02.02 मिनट से 03.31 मिनट तक शुभ का चौघड़िया रहेगा।
करण
सूर्योदय से प्रातः 10.12 मिनट तक वणिज नामक करण रहेगा। इसके पश्चात विष्टि नामक करण लगेगा। इसके पश्चात बव नामक करण लगेगा।
व्रतोत्सव
व्रत/पर्वः आमल की एकादशी व्रत सबका। रंगभरी एकादशी। मेला श्री खाटूश्याम जी प्रारंभ। रामस्नेही फूलडोल महोत्सव, (राज.) रविवार पुष्य अमृत योग (सूर्योदय से दिवस पर्यन्त) विश्व विकलांग दिवस।
चंद्रमाः सूर्योदय से लेकर संपूर्ण दिवस पर्यन्त तक चंद्रमा जल तत्व की कर्क राशि में रहेंगे।
भद्राः प्रातः 10.11 मिनट से रात्रि 08.50 मिनट तक भद्रा का निवास भू-लोक में रहेगा।
दिशाशूलः पश्चिम दिशा में। अगर हो सके तो आज पश्चिम दिशा में की जाने वाली यात्रा को टाल दें।
राहु कालः दोपहरः 05.01.00 से सायंः 06.30.23 तक राहु काल वेला रहेगी। अगर हो सके इस समय में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए।