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बचपन का सपना था तैरना, 70 की उम्र में हाथ बांध कर पार की पेरियार नदी

70 साल की उम्र में आरिफा ने अपने बंधे हाथों से पेरियार के 780 मीटर हिस्से में तैर कर यह साबित कर दिया कि उनके लिए उम्र सिर्फ एक नंबर है। उन्होंने साबित कर दिखाया कि सपनों को पूरा करने के लिए कोई उम्र नहीं होती।

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बचपन का सपना था तैरना, 70 की उम्र में हाथ बांध कर पार की पेरियार नदी

बचपन का सपना था तैरना, 70 की उम्र में हाथ बांध कर पार की पेरियार नदी

क्या सपनों को पूरा करने की कोई उम्र होती है? हो सकता है कुछ लोगों के लिए हो! जब उम्र आपके काम में दखल न दे तो भी कह सकते हैं कि सपने किसी भी उम्र में पूरे किए जा सकते हैं। वहीं कुछ लोग उम्र बढ़ने के बाद जिंदगी में कुछ भी नया हासिल करने का ख्वाब नहीं देखते। लेकिन उस उम्र में केरल के कोच्चि के एक छोटे से शहर अलुवा की आरिफा ने एक मिसाल कायम किया है। उनका कहना है कि सपनों को पूरा करने के लिए कोई उम्र नहीं होती।

70 साल की आरिफा ने अपने बंधे हाथों से पेरियार के 780 मीटर हिस्से में तैर कर यह साबित कर दिया कि उनके लिए उम्र सिर्फ एक नंबर है। आरिफ़ा मुस्लिम परिवार से आती हैं। परिवार में पति और दो बेटे हैं। आरिफा ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें बचपन से ही स्विमिंग का शौक रहा है। उन्होंने 15 साल की उम्र में तैरना भी सीख लिया था।

21 साल की उम्र में आरिफा ने तैरकर पेरियार को पार किया था। जिस इलाके में आरिफा रहती है वहां हर साल बाढ़ आ जाती है, ऐसे कई लोग फंस जाते हैं जिन्हें तैरना नहीं आता, इसलिए उनके दो लड़के लोगों की मदद करते हैं, वे भी तैरना जानते हैं। इतने सालों के बाद जब 70 साल की आरिफा को इस उम्र में दूसरा मौका मिला तो उन्होंने इस मौके को जाने नहीं दिया। उन्होंने सोचा क्यों ना इस बार कुछ नया किया जाए।


आरिफा ने कहा, "मुझे एक प्लेटफॉर्म मिला लोगों को यह संदेश देने के लिए कि अगर मन में दृढ़ निश्चय हो तो आप किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।" आरिफा ने बताया जब वो तैराकी सीखने के लिए क्लब गईं तो उन्होंने देखा कि वहां छोटे-छोटे बच्चों को भी हाथ बांध कर सिखाते थे। मैंने सोचा कि कुछ नया प्रयोग करना चाहिए। मैंने हाथ बांधकर तैरने की कोशिश की और सफल रही। इसके बाद मैंने हाथ बांधे हुए ही तैरकर पेरियार पार करने का निर्णय लिया और अब उसमें भी सफल हो गई हूं।

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आरिफा ने बताया, "मैं एक मुस्लिम परिवार से आती हूं तो जब दोबारा तैरने का सोचा तो पोशाक बाधा बन गई। लेकिन वालेस्सेरी रीवर स्विमिंग क्लब ने मुझे मेरे धार्मिक कपड़ों मे तैरने की इजाज़त दे दी। मैंने अभी भी अपने धार्मिक कपड़ों में ही पेरियार पार की है।" आरिफा अपने सफलता का श्रेय ट्रेनर साजी वालेसरी को देती हैं। साजी से ही उन्हें एक हफ्ते विशेष ट्रेनिंग मिली थी, जिसके बाद वह हाथ बांधे हुए तैरने में सहज हो गईं।

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