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कोरोना वायरस से जुड़ी 5 भ्रांतियां, जिन्हें अब भी सच समझ रहे हैं लोग

कोरोना वायरस ने दुनिया के कई देशों में अपना आतंक मचा रखा है। इस महामारी ने पिछले एक साल में लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। कोरोना से बचाव के लिए सभी अपने स्तर पर सावधानियां बरत रहे है। यह वायरस कैसे फैला, इसका इलाज क्या है, विज्ञान क्या कहता है तमाम पहलुओं से जुड़ी कई सूचनाएं और जानकारियां सामने आईं।

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orona virus

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कोरोना वायरस ने दुनिया के कई देशों में अपना आतंक मचा रखा है। इस महामारी ने पिछले एक साल में लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। कोरोना से बचाव के लिए सभी अपने स्तर पर सावधानियां बरत रहे है। यह वायरस कैसे फैला, इसका इलाज क्या है, विज्ञान क्या कहता है तमाम पहलुओं से जुड़ी कई सूचनाएं और जानकारियां सामने आईं। सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर कई तरह की अफवाहें चल रही हैं। जो समय के साथ गलत साबित हो गईं, लेकिन कई लोग अब भी उन्हें सच मानकर बैठे हैं।

नॉनवेज खाने से फैलता है कोरोना
कोविड 19 के बारे में कहा जा रहा है कि यह वायरस नॉनवेज खाने से भी फैलता है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान सी-फूड मार्केट से ही फैलना शुरू हुआ था। हालांकि WHO ने स्पष्ट किया है कि जानवरों से इंसानों में कोरोना वायरस के फैलने का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है, इसलिए ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

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बच्चों में नहीं, बुजुर्गों में फैलता है वायरस
कोरोना को लेकर कहा जा रहा है कि यह केवल बुजुर्ग लोगों में फैलता है, जोकि झूठ है। WHO का कहना है कि कोरोना वायरस किसी भी उम्र के लोगों में फैल सकता है। हालांकि ऐसे लोग, जो पहले से अस्थमा, डायबिटीज या दिल की बीमारी से ग्रसित हैं, या फिर जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन लोगों में इस वायरस के फैलने की आशंका ज्यादा है।

सामान्य फ्लू से ज़्यादा खतरनाक नहीं
ट्रंप पर आरोप है कि वायरस की गंभीरता से वाकिफ होने पर भी उन्होंने शुरू से इसे सामान्य वायरस कहा। ट्रंप के साथ ही कुछ और नेताओं ने भी। दावा गलत कैसे निकला महामारी विशेषज्ञों ने देखा कि आम फ्लू के मुकाबले कोरोना से मौतों की दर ज़्यादा है। अमेरिका में ही इस वायरस से दो लाख से ज़्यादा मौतें कुछ ही महीनों में होना सबूत बना। लोग सच क्यों मानते हैं? नेता चीख चीखकर कहते हैं। जैसा कि हिटलर ने कहा था झूठ को इतनी बार इतने ज़ोर से बोलो कि वो सच हो जाए।

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लैब में बनाया गया वायरस
इस महामारी की शुरूआत चीन के वुहान से हुई तो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे वुहान वायरस और चाइना वायरस कहा। ये थ्योरी आई कि चीन की एक वैज्ञानिक प्रयोगशाला में इस घातक वायरस को बनाया गया। दावा कैसे गलत निकला? अमेरिकी इंटेलिजेंस ने ही कह दिया कि कोविड का वायरस मैन मेड नहीं है और न ही आनुवांशिक रूप से मोडिफाइड। लोग सच क्यों मानते हैं? क्योंकि इतनी बड़ी त्रासदी किसी के सिर मढ़ने के लिए बलि का बकरा चाहिए होता है।

चीन के सामान से भी है कोरोना का खतरा
सोशल मीडिया पर यह धड़ल्ले से चल रहा है कि चीन से आए सामान में भी कोरोना वायरस हो सकता है, इसलिए चीनी सामान को नहीं खरीदना चाहिए। इस मामले में WHO ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस किसी भी वस्तु के ऊपर दो दिन से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता, इसलिए ऐसा सामान जिसे आने में ही 2-3 दिन लग रहे हैं, उसे छूने या खरीदने में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है।