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30 हजार में बनवाया सार्टिफिकेट और जिंदा घूम रहा था कैदी, जानिए क्या है पूरा मामला

locationइंदौरPublished: May 18, 2022 03:08:38 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

कोरोना काल में पैरोल पर छूटे एक कैदी ने खुद की मौत साबित करने के लिए 30 हजार रुपए खर्च किए और खुद की मौत का सार्टिफिकेट बनवाकर जेल में प्रस्तुत करवा दिया.

30 हजार में बनवाया सार्टिफिकेट और जिंदा घूम रहा था कैदी, जानिए क्या है पूरा मामला

30 हजार में बनवाया सार्टिफिकेट और जिंदा घूम रहा था कैदी, जानिए क्या है पूरा मामला

इंदौर. कोरोना काल में पैरोल पर छूटे एक कैदी ने खुद की मौत साबित करने के लिए 30 हजार रुपए खर्च किए और खुद की मौत का सार्टिफिकेट बनवाकर जेल में प्रस्तुत करवा दिया, जेल प्रबंधन उसे मृत मान बैठा, लेकिन वह वाकई में जिंदा घूम रहा था, जैसे ही पुलिस को ये जानकारी लगी, आरोपी सहित दो को धरदबोचा है।

जानकारी के अनुसार कोरोना काल में पैरोल पर छोड़ा जा रहा था, उस दौरान जून 2020 में ड्रग्स तस्करी में पकड़े गए अभिषेक जैन को भी घरवालों ने पैरोल पर छुड़ा लिया था, इसके बाद उन्होंंने अभिषेक की मौत की साजिश रची, उन्होंने मुक्तिधाम की रसीद के साथ ही अभिषेक ने खुद की मौत का सार्टिफिकेट भी बनवा लिया, जिसके उसने 30 हजार रुपए खर्च किए थे, ये सार्टिफिकेट परिजनों द्वारा जेल में देने पर जेल प्रबंधन ने भी अभिषेक को मृत मान लिया था, लेकिन अभिषेक जिंदा घूम रहा था, इस बात की जानकारी लगने पर पुलिस ने दबिश दी तो अभिषेक पकड़ा गया, पुलिस ने इस मामले में सार्टिफिकेट बनवाने में मदद करने वाले रिंकू चौधरी और नौशाद को भी गिरफ्तार कर लिया है।

 

मुक्तिधाम की रसीद और डेथ सार्टिफिकेट
जानकारी मिली है कि अभिषेक की मां ने अलीराजपुर थाने पर मुक्तिधाम की रसीद और अपने ही बेटे का डेथ सार्टिफिकेट दे दिया था, इस सार्टिफिकेट को बनवाने वाले आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, वहीं पुलिस ने अभिषेक और उसकी मां के खिलाफ भी धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर दिया है। थाना प्रभारी धर्मवीर सिंह नागर ने बताया कि आरोपी की मां सीमा जैन द्वारा दिए गए प्रमाण-पत्र जेल भेज दिए गए थे, जांच में पता चला है कि अभिषेक ने सीमा के भी फर्जी हस्ताक्षर किए है। इस मामले में दो आरोपियों को ओर गिरफ्तार किया है।

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इसलिए जेल में था अभिषेक
साल 2011 में देवास नाके के समीप 830 ग्राम मादक पदार्थ के साथ सात लोगों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों को साल 2019 में 12 साल के कारावास की सजा दी गई थी, वहीं तीन आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था, जिसमें अभिषेक भी शामिल था, अभिषेक को उसके घरवालों ने कोरोना काल में पैरोल पर छुड़ा लिया था, इसके बाद उसके फर्जी डेथ सार्टिफिकेट लगाकर उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा था।

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