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पहली बार भारत के इस एनजीओ को ‘रेमन मैग्सेसे 2025’, एमपी समेत 6 राज्यों को शिक्षा से जोड़ा

Remon magsaysay award 2025: एजुकेेटेड गर्ल्स ग्लोबली एनजीओ की मेहनत लाई रंग, मध्य प्रदेश समेत 6 राज्यों में बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने की अनूठी पहल, गांवों में जगाई शिक्षा की अलख... पढ़ें पत्रिका की विशेष रिपोर्ट...

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Ramon Magsaysay Award 2025

Ramon Magsaysay Award 2025: 'एजुकेट गल्र्स ग्लोबली' एनजीओ बना भारत का पहला एनजीओ जिसने जीता रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2025। (फोटो: पत्रिका)

Ramon magsaysay 2025: गांवों में स्कूल न जाने वाली बेटियों को शिक्षित करने वाली एनजीओ 'एजुकेट गर्ल्स' को 2025 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता घोषित किया। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन ने ये जानकारी दी है। 'एजुकेट गल्र्स ग्लोबली' संगठन मैग्सेसे सम्मान पाने वाला पहला भारतीय एनजीओ है। भारत के लोगों को पहले भी यह पुरस्कार मिल चुका है।

2025 के अन्य पुरस्कार विजेताओं में मालदीव की शाहिना अली को पर्यावरण संबंधी कार्य व फिलीपींस के क्लावियानो एंटोनियो एल विलानुएवा को हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान के प्रयासों के लिए शामिल किया है। 67वां मैग्सेसे पुरस्कार समारोह 7 नवंबर को मनीला के मेट्रोपोलिटन थिएटर में होगा। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक सफीना हुसैन एजुकेट गल्र्स की फाउंडर हैं। यह लड़कियों-महिलाओं शिक्षा पर काम करता है। शुरुआत सफीना ने राजस्थान से की। मप्र में भी काम कर रही हैं।

एजुकेट गर्ल्स की CEO गायत्री नायर लोबो से पत्रिका ने की खास बातचीत...

Q. जरूरतमंदों को अच्छी पढ़ाई क्यों नहीं मिलती? कैसे सही हो?

A. शिक्षा की राह में गरीबी, कमजोर प्रणाली, सामाजिक रुकावटें आती है तो वंचित बच्चों के लिए सीखना चुनौती बन जाता है। समुदाय जुडऩे पर हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचती है। सरकार कई योजनाएं चला रही है।

Q. क्या जरूरतमंदों तक पहुंचती हैं?

A. जब तक हम शिक्षा को केवल सरकार की जिम्मेदारी मानेंगे, बदलाव अधूरा रहेगा। साझा जिम्मेदारी लेनी होगी। सरकार-समाज, परिवार मिलकर काम करें, तब हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचेगी।

Q. 'एजुकेट गर्ल्स' इस कमी को पूरा करने में कैसे मदद करती है?

A. हम सरकार के साथ मिलकर, मौजूदा संसाधनों का उपयोग करते हुए काम करते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और परिणाम आधारित सामुदायिक स्वामित्व पर काम करते हैं। गांव की टीम बालिका स्वयं सेवक को चुनते है। जो 'मेरा गांव, मेरी समस्या, मैं ही समाधान' की सोच के साथ काम करते हैं।

Q. 1 करोड़ लड़कियों को शिक्षा देने का मिशन कैसे पूरे करेंगी?

A. हम गांवों में लड़कियों को शिक्षा में बढ़ावा देने के लिए समुदायों के साथ काम करते हैं। ताकि हर लड़की स्कूल से जुड़े, सीखें, आत्मनिर्भर बनें। अभी हम मप्र, राजस्थान, यूपी, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और बिहार में सक्रिय हैं, और जल्द ही आंध्र प्रदेश, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र में भी कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं।

Q. गांव-शहर के स्कूलों में पढ़ाई के स्तर में बड़ा अंतर क्यों?

A. सरकार और निजी संस्थाएं इस अंतर को कम करने के लिए काम कर रही हैं। लेकिन बड़े बदलाव के लिए नीति, क्रियान्वयन, स्थानीय जरूरतों में तालमेल जरूरी है।

Q. आज के युवाओं को शिक्षा और इसके महत्व को लेकर कोई संदेश?

A. शिक्षा से ही भविष्य बनता है, समाज बदलता है और देश आगे बढ़ता है। शिक्षा केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का आधार है। यह वह इंजन है जो भारत की अर्थव्यवस्था को गति देता है, और यह इंजन तभी पूरी रफ्तार पकड़ेगा जब हर युवा समान व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाएगा।

धार के 56 स्कूलों में 'ज्ञान का पिटारा'

आदिवासी बहुल धार जिले में बालिका शिक्षा को एजुकेट गल्र्स प्रोत्साहन दे रही हैं। एक ओर ११ ब्लॉक में छोटी उम्र की बच्चियों को शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। वहीं, 56 स्कूलों में ज्ञान का पिटारा कार्यक्रम के तहत संस्था के कर्मचारी शिक्षकों के साथ बच्चियों को पढ़ा रहे हैं। संस्था के ऑपरेशन लीडर रोहित चतुर्वेदी, जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज सिंह तोमर का कहना है कि धार में 2016 से संस्था काम कर रही है।

सोच में बदलाव जरूरी

बेटियों के मामले में लोगों की सोच को बदलना बेहद मुश्किल होता है। क्योंकि वे उन्हें केवल एक जिम्मेदारी ही मानते हैं। माता-पिता बेटियों को अधिक उम्र में स्कूल भेजने से झिझकते हैं। ऐसे में बेटियों के प्रति सोच में बदलाव बेहद जरूरी है। -सफीना हुसैन, फाउंडर, एजुकेट गर्ल्स