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अक्षय कांति बम के साथ सेल्फी पर कैलाश विजयवर्गीय का बड़ा बयान, ‘कोई प्लान नहीं था…’

Kailash Vijayvargiya on akshay kanti bam : नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अश्रय कांति बम के साथ ली गई सेल्फी पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि सब कुछ अचानक हुआ था, कुछ भी पहले से प्लान नहीं था, सेल्फी जाकर खींची थी।

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Kailash Vijayvargiya on akshay kanti bam

कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ( akshay kanti bam ) द्वारा टिकट की उम्मीदवारी और कांग्रेस से नाता दोनो तोड़कर भाजपा में जाते ही इंदौर समेत मध्य प्रदेश में उठा राजनीतिक तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा में शामिल होने के बाद भी जहां बम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं तो वहीं खुद बीजेपी ( BJP ) भी उन्हें लेकर बैकफुट पर है। फिलाहल, इस मामले में मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ( Minister Kailash Vijayvergiya ) ने अपना पक्ष रखा है। एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सब कुछ अचानक ही हुआ था, कुछ भी पहले से प्लान नहीं था, सेल्फी जाकर खींची थी।

मोहन सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक न्यूज इंटरव्यू में में कहा है, जिसका एक वीडियो क्लिप उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर किया है। वह बम के बीजेपी में आने और डस घटनाक्रम के प्री-प्लांड होने के विपक्ष के आरोपों पर जवाब दे रहे थे। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 'कुछ भी पहले से प्लान नहीं था। अचानक सब कुछ हुआ। मैं फॉर्म वापस करवाने गया भी नहीं था। मैं रास्ते में मिला था, क्योंकि कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया था। इसलिए मैं रास्ते में पहुंचा। हम लोगों ने बात की।

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सेल्फी खींची, नहीं पता था कि इतनी चर्चा में आ जाएगी

मंत्री ने आगे ये भी कहा कि सेल्फी खींचने वाली बात सही है और हमने ट्वीट कर दिया। पर वो ट्वीठ इतना बड़ी चर्चा का विषय बन जाएगा, इसकी कल्पना मुझे नहीं थी। ठीक है, राजनीति में कुछ करते हैं तो कुछ न कुछ तो होता है। उसमें हुआ है। मैं ऐसा कह सकता हूं कि हमें सफलता मिली है।

नाम वापसी के समय मेंदोला साथ थे, नीचे कार में बैठे थे विजयवर्गीय

इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने नामांकन वापसी के अंतिम दिन 29 अप्रैल को नाटकीय घटनाक्रम के तहत कलेक्टर ऑफिस पहुंचे और अपना फॉर्म वापस लिया था। उनके साथ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खास और दो नंबर विधानसभा से विधायक रमेश मेंदोला, एमआईसी मेंबर जीतू यादव और उनकी टीम थी। फॉर्म लेने के कुछ देर बाद ही मंत्री विजयवर्गीय ने बम के साथ सैल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट की, जिसमें कार में वो आगे और पीछे बम के साथ मेंदोला बैठे नजर आ रहे थे।

ताई ने जताई थी आपत्ति

बम के बीजेपी में उस तरह आने पर बीजेपी नेत्री और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (ताई) ने भी हैरानी जताई थी। ताई ने कहा था कि इस घटनाक्रम की कोई आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि दीवार पर लिखा हुआ है कि डंदौर में बीजेपी को कोई भी नहीं हटा सकता। कांग्रेस उम्मीदवार (बम) को ऐन चुनाव से पहले ऐसा नहीं करना चाहिए था। उसने एक तरह से अपनी पार्टी (कांग्रेस) से भी धोखा किया, लेकिन मैं ऐसे शब्दों का इस्तेमाल क्यों करूं? ताई ने कहा कि इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास में पहली बार चुनावी पाला बदलने के बाद शहर के कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने उन्हें फोन करके नाराजगी जताई। फोन कटने वालों ने मुझसे कहा कि अब वे ईवीएम पर नोटा का विकल्प चुनेंगे, क्योंकि भाजपा ने जो किया, वह उन्हें अच्छा नहीं लगा।

पीएम मोदी ने पूछा था सवाल

इस घटना के बाद पीएम मोदी जब ट्रांजिट विजिट दौरान इंदौर आए थे, तब कार्यकर्ताओं से उन्होंने पूछा था कि क्या इस बार इंदौर में वोटिंग कम होगी क्या ? क्योंकि इस घटना के बाद इंदौर में जमकर नाराजगी हुई इसके बाद बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा इंदौर आए और सफाई दी और कहा कि बम तो खोटा सिक्का था। वहीं सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि उनका दूल्हा भाग गया। खुद घटना के कुछ दिन बाद विजयवर्गीय बम को लेकर प्रेस कांफ्रेस में आए थे और बम ने सफाई देते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं से ही वे परेशान थे और राम मंदिर, सनातन विचारधारा के चलते वो बीजेपी में आए। उधर बम कानूनी मुश्किलों में भी फंस चुके हैं और उन पर हत्या के प्रयास की धारा 307 लग चुकी है और गिरफ्तारी वारंट भी जारी है।