
कहा जाता है, मालवा-निमाड़ में जिसने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं उसकी सरकार बनना तय है। इसलिए राजनीतिक दलों को फोकस भी मालवा-निमाड़ पर ज्यादा होता है। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2018 में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से कई ऐसी सीटें भी थीं, जिस पर मतगणना के अंतिम समय तक ऊहापोह की स्थिति बनी रही। मसलन, इन सीटों पर कुछ हजार वोट से जीत-हार का अंतर रहा।
2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने ऐसे कई नेताओं को सबक सिखाया, जो खुद को दिग्गज मानते थे। 14 ऐसी विधानसभा रही, जिसमें हार-जीत का फासला 5 हजार से भी कम का रहा। कुछ तो ऐसी रहीं, जिसमें बड़ा उलटफेर भी हुआ। पूर्व में हजारों वोटों से विधायक जीते थे, लेकिन जनता ने उन्हें 2018 में जमीन दिखा दिया। चौकाने वाली बात यह है कि तीन सीटों पर उप चुनाव हुए, जिसमें मुख्य चुनाव में दो हजार से भी कम वोटों से जीतने वाले विधायक बंपर मतों से जीतकर सदन में पहुंचे।
भाजपा के बचे नामों की सूची पर सबकी नजर
जैसे-जैसे 17 नवंबर की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे विधानसभा चुनाव-2023 का रंग भी चोखा होता जा रहा है। कांग्रेस ने श्राद्ध पक्ष को देखते हुए अब तक प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है तो वहीं भाजपा ने 4 सूची जारी करके 136 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। बचे 94 नामों की सूची पर सबकी नजर है। पिछले विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से 14 ऐसी सीटें भी थीं, जिसमें हार-जीत का अंतर पांच हजार वोट से कम का रहा।
दिग्गजों को भी मिली थी कड़ी टक्कर
आमतौर पर एक विधानसभा क्षेत्र में दो से चार लाख वोटर होते हैं, जिसमें कम वोटों से जीत का मतलब कांटे का मुकाबला होने जैसा रहता है। सबसे कम 350 वोटों से सुवासरा के विधायक हरदीपसिंह ढंक ने जीत दर्ज कराई थी तो भाजपा के दिग्गज नेता लक्ष्मीनारायण पटेल के बेटे राजेंद्र पांडे भी जावरा से महज 511 वोट विजयी रहे थे। वहीं, कमलनाथ सरकार में गृह मंत्री रहे बाला बच्चन भी राजपुर से 932 वोट से जीत दर्ज करा पाए थे।
यह है 5 हजार से कम वोटों से जीत वाली विधानसभा
1. सुवासरा - हरदीपसिंह ढंग (कांग्रेस) - 350
2. जावरा - राजेंद्र पांडे (भाजपा)- 511
3. राजपूर - बाला बच्चन (कांग्रेस) - 932
4. इंदौर 5 - महेंद्र हार्डिया (भाजपा)- 1133
5. मंधाता - नरेंद्रसिंह तोमर (कांग्रेस) - 1236
6. नेपानगर - सुमित्रा कासदेकर (कांग्रेस) - 1264
7. जोबट - कलावती भूरिया (कांग्रेस) - 2056
8. गरोठ - देवीलाल धाकड़ (भाजपा) - 2108
9. तराना - महेश परमार (कांग्रेस) - 2209
10 आगर - विपिन वानखेड़े (कांग्रेस) - 2490
11. सांवेर - तुलसीराम सिलावट (कांग्रेस) - 2945
12. जावद - ओमप्रकाश सकलेचा (भाजपा) - 4271
13. घटिया - रामलाल मालवीय (कांग्रेस) - 4628
14. थांदला - वीरसिंह भूरिया (कांग्रेस) - 5000
उप चुनाव में बदला वोटों का आकड़ा
कम वोटों से मुख्य चुनाव जीतने वाली तीन विधानसभा में जब उप चुनाव हुए तो परिणाम भी कुछ अलग ही आए। सबसे ज्यादा चौकाया सांवेर में मंत्री तुलसीराम सिलावट ने, जो 2018 में 2490 वोट से जीते थे, लेकिन 2020 में हुए उपचुनाव में 53 हजार 264 वोटों से जीत दर्ज कराई। उसके बाद सुवासरा से ढंग 29 हजार 440 वोटों से जीते तो नेपानगर से 2018 में 1264 वोटों से जीतने वालीं सुमित्रा कासदेकर ने उपचुनाव में 26 हजार 340 वोटों से जीत दर्ज कराई।
Updated on:
14 Oct 2023 07:35 am
Published on:
14 Oct 2023 06:48 am
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