8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब माता-पिता के खिलाफ कोर्ट में अपील नहीं कर सकेंगे बच्चे, High Court ने दे दिया बड़ा आदेश

MP High court: दिवाली पर एमपी समेत देशभर के बुजुर्गों के लिए राहत भरी खबर, मिसाल बनेगा एमपी हाईकोर्ट का ये फैसला...

2 min read
Google source verification
MP High Court

MP High Court

MP High Court: मप्र हाईकोर्ट ने दीपावली के पूर्व वरिष्ठ नागरिकों को बड़ा तोहफा दिया है। हाईकोर्ट ने 89 वर्षीय बुजुर्ग की ओर से दी गई दलील (वेदों से ली गई ऋचा मातृ: देवो भव:, पितृ देवो भव:) को मान्य किया है। जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के प्रकरणों में अपील का अधिकार केवल माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों को ही है। अन्य कोई व्यक्ति, चाहे वह संतान, रिश्तेदार या तीसरा पक्ष हो, अपील नहीं कर सकता।

जानें क्या है पूरा मामला

अभिभाषक अभिनव धानोतकर ने बताया, हाईकोर्ट में शांतिबाई ने केस दाखिल किया था। सुनवाई के दौरान उनकी ओर से दलील दी गई कि वेदवाक्यों, कुरान और बाइबिल में माता-पिता को भगवान के समान दर्जा दिया गया है। इसी भावना को इस कानून में भी रखते हुए बच्चों को अपील का अधिकार नहीं दिया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह अधिनियम विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और माता-पिता की भलाई के लिए बनाया गया है।

कोर्ट ने खारिज किया अपर कलेक्टर का आदेश

इसका उद्देश्य उन्हें सुरक्षा, सम्मान और त्वरित न्याय देना है, न कि उनके बच्चों या रिश्तेदारों के लिए समान अधिकार सृजित करना है। कोर्ट (MP High Court) ने इस मामले में इंदौर अपर कलेक्टर द्वारा जारी आदेश खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बच्चों की अपील को मान्य किया था।

जनसुनवाई में जारी आदेश के खिलाफ कलेक्टर के समक्ष की थी अपील

वर्ष 2022 में शांतिबाई की बेटी मंजू कुनारे और दामाद प्रेमचंद कुनारे ने कथित रूप से उनके घर पर कब्जा कर लिया। कलेक्टर के आदेश पर एसडीएम ने सुनवाई कर 23 सितंबर 2024 को आदेश जारी किया कि मंजू को 30 दिन के भीतर मकान खाली कर शांतिबाई को कब्जा सौंपना होगा। इस आदेश के खिलाफ मंजू ने अपर कलेक्टर के समक्ष अपील की।

कोर्ट ने ये टिप्पणी भी की

--अपील मौलिक अधिकार नहीं, बल्कि विधि द्वारा प्रदत्त अधिकार है।

--वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का मकसद लंबी कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि वृद्धों को शीघ्र राहत देना है।

--यदि किसी को त्रुटिपूर्ण आदेश से शिकायत है तो वह सामान्य दीवानी न्यायालय की शरण ले सकता है, लेकिन अधिनियम की विशेष अपीलीय व्यवस्था का लाभ नहीं उठा सकता।

बुजुर्गों को मिलेगी राहत

अभिभाषक धानोतकर ने बताया, यह फैसला (MP High Court)पूरे देश में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए मिसाल बनेगा। वरिष्ठ नागरिक अधिनियम की धारा 16 पर बहस होती है कि इसमें अपील हो सकती है या नहीं। इससे भ्रम की स्थिति रहती थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद कानून की व्याख्या पर भ्रम और विरोधाभास समाप्त हो गया।