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नर्इ पाॅलिसी से देश में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
इस ड्राफ्टी पाॅलिसी के मुताबिक, डेटा सर्वर व सर्वर फर्म्स के देश में ही रहने से न सिर्फ देश का डेटा सुरक्षित रहेगा बल्कि इससे देश में रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे। खासतौर पर बैक-आॅफिस में रोजगार की संभावनाएं तेजी से बढ़ेंगी। इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि क्लाउड कम्प्युटिंग से देश में आर्थिक गतिविधीयां तेजी से बढ़ेंगी। अधिकारी ने बताया, “हमारे लिए यह जरूरी है कि हमारा डेटा देश में ही रहे। हम एक प्रयोग करने जा रहे हैं ताकि पता चल सके की इससे कितनी नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं। साथ ही में हम यह भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि इससे के लिए हमें कितना खर्च करना होगा।”
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इलेक्ट्राॅनिक ट्रांसमिशन पर WTO ने कस्टम ड्यूटी लगाने से दी है छूट
इस ड्राफ्ट में डेटा सेंटर्स, सर्वर फर्म्स, टावर्स, टावर स्टेशन्स, इक्विपमेंट आैर आॅप्टिकल फाइबर आदि के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टेटस तैयार करने का प्रस्ताव है। इससे उधार के लिए कम दर व बैंक फाइनेंस व टैक्स छूट को सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है। साथ ही विश्व व्यापार संगठन के नियमों के मुताबिक इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन पर कस्टम ड्यूटी न लगाने का रिव्यू करने का भी प्रस्ताव है। अधिकारी ने कहा कि एक तरफ इस पाॅलिस का केंद्रबिंदु डेटा है लेकिन इससे भारत को विश्व व्यापार संगठन में अपनी पकड़ मजबूत बनाने व विपक्षीयों को र्इ-काॅमर्स को लेकर मोलभाव करने का भी अवसर मिलेगा।
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कस्टम ड्यूटी में छूट से विकासशील देशों को हो रहा नुकसान
गौरतलब है कि भारत व दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन से मांग की है कि वो यह कारण बताए कि आखिर क्यों इलेक्ट्राॅनिक ट्रांसमिशन पर कस्टम ड्यूटी नहीं लगाया जाए। दोनों देशों ने कहा है इससे विकासशील देशों के राजस्व को घाटा हो रहा है। दोनों देशों ने अपने साझा बयान में कहा है, “आज के दौर में कर्इ एेसे उत्पाद हैं जो डिजिटलीकरण के बाद इलेक्ट्राॅनिक ट्रांसमिशन के जरिए भेजे जा रहे हैं। एेसे में इनपर कस्टम ड्यूटी न लगाने से राज्सव को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।”
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