7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

77 साल बाद एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, नवरात्र में ‘होम गार्ड्स’ को मिला तोहफा

MP High Court: 77 साल बाद ही सही, होमगार्ड्स को न्याय मिल ही गया, हाईकोर्ट ने जारी किए आदेश, असंवैधानिक घोषित कर निरस्त किया सरकार का ये नियम...

less than 1 minute read
Google source verification
MP High Court

MP High Court (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)






MP High Court: होम गार्ड्स सैनिक 77 साल बाद कॉल ऑफ की काली छाया से मुक्त हो गए। हाईकोर्ट ने दो साल के कॉल ऑफ के सरकार के नियम को अंवैधानिक घोषित कर निरस्त करने का ऐतिहासिक आदेश पारित किया। इससे 10 हजार होम गार्ड्स को राहत मिली है। राज्य में 1948 से नियम चला आ रहा था। तब पुलिस व दूसरे विभागों की मदद के लिए होमगार्ड्स का गठन स्वयंसेवी संगठन के रूप में किया गया था। समय के साथ होमगार्ड्स की भूमिका बदली, पर कॉल ऑफ (साल में तय अवधि के लिए ड्यूटी से अलग करना) की व्यवस्था रही। होमगार्ड्स ने व्यक्तिगत रूप से करीब 490 याचिकाएं दायर कीं।


अधिकारी नियमित

एमपी हाईकोर्ट जबलपुर में होमगार्ड्स की ओर से अधिवक्ता विकास महावार ने तर्क दिया, 1962 से होमगार्ड सेवाएं दे रहे हैं, पर हर वर्ष 23 माह के लिए कॉल ऑफ किया जाता था। संगठन अधिकारियों को नियमित कर सालभर काम दिया जाता था। 17 साल से संघर्ष 2008 में मानव अधिकार आयोग ने जांच की। सरकार को कॉल ऑफ प्रक्रिया खत्म करने की अनुशंसा की। इस पर सरकार ने कार्यवाही नहीं की। होमगार्ड संगठन ने याचिका पेश की। 2011 में कोर्ट ने शासन को नए विधान बनाने कॉल ऑफ समाप्त करने के आदेश दिए। इसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन हाईकोर्ट का आदेश यथावत रहा।

कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने बनाई कमेटी

कोर्ट के निर्देशानुसार सरकार ने कमेटी बनाई, पर कॉल ऑफ का प्रावधान रखा। जबकि हाईकोर्ट ने खत्म दिया था। इसके खिलाफ याचिकाएं लगीं। याचिकाएं लंबित रहते शासन ने नियम बदलकर 3 वर्ष में 2 माह का कॉल ऑफ का प्रावधान किया। इसे भी चुनौती दी गई।