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सोलह सोमवार व्रत में लगाएं इनका भोग, शिव को बहुत पसंद हैं ये नैवेद्य

सोमवार व्रत

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how to do solah somvar vrat udyapan

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जबलपुर। सावन माह के सोमवार से सोलह सोमवार व्रत शुरु होते हैं। १६ सोमवार का व्रत समापन पर उद्यापन किया जाता है। इस उद्यापन में शिवजी की विधिविधान से पूजा की जाती है तो जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं। शिवपूजन में बिल्व पत्र और धतूरा का बहुत महत्व है। इसके साथ ही शिवलिंग का जलाभिषेक भी किया जाता है।


शिव का पसंदीदा भोग
भोलेनाथ की पूजा बड़ी सरल है। सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, शकर, घी, जल अर्पित करें। शिवलिंग या शिवमूर्ति को स्नान कराकर भांग-धतूरा, गंध, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। शिव को भांग और पंचामृत का नेवैद्य पसंद है। इसलिए पूजा में इन वस्तुओं को भोग के रूप में अर्पित करें। इसके साथ ही शिवजी को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी अर्पित की जाती है।

शिवजी का उपवास रखकर गुड़, चना और चिरौंजी, दूध करें अर्पित

श्रावण मास में शिवजी का उपवास रखकर उनको गुड़, चना और चिरौंजी के अलावा दूध अर्पित करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। द्यापन में शिवजी की विधिविधान से पूजा की जाती है तो जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं। शिवपूजन में बिल्व पत्र और धतूरा का बहुत महत्व है। इसके साथ ही शिवलिंग का जलाभिषेक भी किया जाता है।


गणेशजी को भी लगाएं भोग
किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेशपूजन किया जाता है। सोलह सोमवार व्रत के उद्यापन में भी सबसे पहले गणेशपूजन किया जाना चाहिए। गणेशजी को मोदक या लड्डू का नैवेद्य अच्छा लगता है। मोदक के अलावा गणेशजी को मोतीचूर के लड्डू भी पसंद हैं। शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं। नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी उनको अर्पित किए जाते हैं। मोदक कई तरह के बनते हैं। महाराष्ट्र में खासतौर पर गणेश पूजा के अवसर पर घर-घर में तरह-तरह के मोदक बनाए जाते हैं।