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mahesh navami , शिव के आशीर्वाद से शस्त्र छोड़कर समृद्ध बना यह समाज

समृद्ध बना समाज

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shiv pujan , mahesh jayanti 2018, maheshwari samaj

shiv pujan , mahesh jayanti 2018, maheshwari samaj

जबलपुर. आज देशभर में महेश जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी या महेश जयंती का उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए माहेश्वरी समाज में यह उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो महेश नवमी का पर्व सभी समाज के लोग मनाते हैं लेकिन माहेश्वरी समाज इस पर्व को बहुत ही भव्य रूप में मनाता है।


सुबह हुआ अभिषेक, शाम को शोभायात्रा
महाकौशल में जबलपुर, कटनी, गाडरवारा आदि शहरों में बड़ी संख्या में माहेश्वरी समाज रहता है। माहेश्वरी समाज ने इस उत्सव की तैयारी बहुत पहले से ही शुरु कर दी थी। आज दिनभर धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहेे हैं। कुछ स्थानों पर चल समारोह (रथयात्रा आदि) भी निकाली जा रही हैं। इस मौके पर गाडरवारा माहेश्वरी समाज द्वारा नगर के माहेश्वरी भवन में महेश जयंती कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यहां सुबह शिवाभिषेक किया गया और दिनभर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। शाम को शोभायात्रा निकाली जाएगी एवं स्नेह भोज से कार्यक्रम का समापन होगा।


यह पर्व भगवान शंकर और पार्वती के प्रति पूर्ण भक्ति और आस्था प्रकट करता है। माना जाता है कि महेश स्वरूप में आराध्य शिव, पृथ्वी से भी ऊपर कोमल कमल पुष्प पर बेलपत्ती, त्रिपुंड, त्रिशूल, डमरू के साथ शोभायमान होते हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार, एक बार माहेश्वरी समाज के पूर्वज, जो क्षत्रिय वंश के थे, शिकार करने गए। जंगल में शिकार करने के दौरान वहां मौजूद तपस्वियों, ऋषियों के पूजन-हवन कर्म में विघ्न उत्पन्न हुआ। इस कारण से ऋषियों ने श्राप दे दिया कि तुम्हारे वंश का पतन हो जाए। इस श्राप के कारण माहेश्वरी समाज के पूर्वज श्री व कांतिहीन हो गए।

शिव के प्रति आस्था प्रकट करने का दिन है महेश नवमी
वे भगवान शिव व पार्वती की पूजा-अर्चना करते रहे। कालांतर में ज्येष्ठ मास की नवमी को भगवान शिव ने उन्हें अपना नाम प्रदान किया और क्षत्रिय कर्म त्यागकर वैश्य कर्म अपनाने के लिए कहा। माहेश्वरी समाज के 72 उपनामों या गोत्र का संबंध भी इसी प्रसंग से है। इसके साथ ही माहेश्वरी समाज महेश नवमी के दिन यह संदेश भी देता है कि हिंसा का त्याग कर जगत कल्याण और परोपकार के लिए कर्म करना चाहिए।