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नक्सलगढ़ में फंसे 35 मतदानकर्मी एयरलिफ्ट, बोले- थैंक्यू पत्रिका

Jagdalpur News: हेलीकॉप्टर बेदरे तक गया तो लेकिन मतदान कर्मियों को साथ लाने की जगह ईवीएम और सात पीठासीन अधिकारियों को लेकर चलता बना।

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35 polling workers stranded in Naxalgarh airlifted Jagdalpur

नक्सलगढ़ में फंसे 35 मतदानकर्मी एयरलिफ्ट, बोले- थैंक्यू पत्रिका

जगदलपुर/ किरंदुल। Chhattisgarh News: पत्रिका ने 9 नवंबर के अंक में प्रकाशित खबर हेलीकॉप्टर से ईवीएम, कर्मियों को वहीं छोड़ा , के बाद निर्वाचन आयोग ने संज्ञान लेते हुए बीजापुर मुख्यालय से 70 किमी दूर नक्सलगढ़ बेदरे में फंसे 35 मतदानकर्मियों को गुरुवार को दो हेलीकॉप्टरों से एयरलिफ्ट किया। बता दें कि मंगलवार को मतदान खत्म होने के बीजापुर के बेदरे में मतदान करवाने गए छह मतदान दलों को वहीं छोड़ दिया गया।

हेलीकॉप्टर बेदरे तक गया तो लेकिन मतदान कर्मियों को साथ लाने की जगह ईवीएम और सात पीठासीन अधिकारियों को लेकर चलता बना। मतदान दल में शामिल कुछ कर्मियों ने पत्रिका से संपर्क किया और बताया कि वे किस तरह से वहां फंस गए हैं और उनकी वापसी को लेकर कोई जवाब नहीं मिल रहा। पत्रिका सभी मतदान कर्मियों की आवाज बना और खबर को पूरे छत्तीसगढ़ में प्रमुखता से प्रकाशित किया। खबर प्रकाशन का गुरुवार सुबह ही असर हुआ और सभी दल को दोपहर में ही बेदरे से सुरक्षित दो एमआई - 17 हेलीकॉप्टरों से बाहर निकाला गया।

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पत्रिका खबर प्रकाशित न करता तो दिवाली भी जंगल में मनती

मतदान दल में शामिल राजेंद्र यादव, जो एनएमडीसी में कार्यरत हैं और चुनाव के दौरान उन्हें माइक्रो ऑब्जर्वर बनाकर बेदरे भेजा गया था। राजेंद्र यादव ने बताया कि दोपहर करीब 1 बजे जैसे ही उन्हें हेलीकॉप्टर की आवाज सुनाई दी। उनकी और उनके साथ के अन्य कर्मियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हेलीकॉप्टर की आवाज सुनते ही सभी लोगों ने एक स्वर में थैंक्यू पत्रिका कहा। राजेंद्र यादव ने कहा कि अगर पत्रिका उनकी खबर प्रकाशित ना करता तो शायद दिवाली का त्योहार भी जंगल में ही मनाना पड़ता।

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‘तुम कब आओगे, पलकें निहार रही हैं’

बस्तर में पहले चरण का मतदान 7 नवंबर को संपन्न हो गया था लेकिन मतदान दलों की वापसी अब तक पूरी तरह से नहीं हो पाई है। नारायणपुर जिला मुख्यालय से कोहकामेटा में मतदान करवाने गए एक दल ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट की और लिखा तुम कब आओगे, पहले निहार रही हैं। मतदान कर्मियों ने इस पोस्ट के जरिए उन्हें जंगल से बाहर निकालने की मांग की।

जंगल में बीती पांच रातें कभी नहीं भूला पाएंगे

मतदान दल में शामिल रविश तिवारी ने कहा कि बेदरे के जंगल में बिताए पांच रातों को हम कभी नहीं भूला पाएंगे। पत्रिका का धन्यवाद जो वह हमारी आवाज बना। हम बता नहीं सकते कि पत्रिका ने हमारे लिए क्या किया है। हमने हर रात नक्सली दहशत में काटा है। मतदान कर्मी एसएल साहू, असिन साहू और गुलशन ने कहा कि हम हर वक्त यही सोच रहे थे कि परिवार के बीच इस बार त्योहार मना भी पाएंगे कि नहीं। अंतत: हम सब अब वापस लौट रहे हैं तो एक ही बात कहेंगे पत्रिका ने जो किया उसके लिए हम इस अखबार को हमेशा याद करेंगे।

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