
59 साल पुरानी परंपरा को जीवित करने की मांग (Photo source- Patrika)
Bastar Dussehra 2025: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा उत्सव में इस बार रथ परिक्रमा को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। पटेल समाज के सदस्यों ने भारी संख्या में जगदलपुर पहुंचकर 1966 से रुकी हुई परंपरा को बहाल करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि बस्तर राजा कमलचंद्र भंजदेव के विवाह के बाद अब रथ पर राजा और रानी दोनों को एक साथ सवार होना चाहिए। यदि यह मांग पूरी नहीं हुई, तो समाजजन रथ के सामने धरना देकर परिक्रमा को रोक देंगे।
समाज के रतराम कश्यप ने कहा कि बस्तर दशहरा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी एकता और परंपरा का प्रतीक है। 59 साल से रुकी यह रीति अब बहाल होनी चाहिए। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन यदि मांग नहीं मानी गई, तो मजबूरन रथ परिक्रमा को रोकना पड़ेगा।
गौरतलब है कि 1966 में बस्तर राजा प्रवीण चंद्र भंजदेव की मृत्यु के बाद से रथ परिक्रमा में केवल मंदिर के पुजारी मां दंतेश्वरी का छत्र लेकर सवार होते रहे हैं। राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव के अविवाहित रहते हुए उन्होंने यह भूमिका निभाई, लेकिन उनके विवाह के बाद पटेल समाज अब इस परंपरा को पुनर्जीवित करने पर अड़ा हुआ है।
Bastar Dussehra 2025: समाज के सदस्यों का मानना है कि रियासत काल की यह रीति-नीति बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है, जिसे अब बहाल किया जाना चाहिए। पटेल समाज के संभागीय अध्यक्ष अनंत राम कश्यप ने कहा कि हम 600 साल पुरानी परंपरा को फिर से जीवित करना चाहते हैं। राजकुमार कमलचंद्र भंजदेव का विवाह हो चुका है, इसलिए अब रथ पर राजा और रानी दोनों सवार हों। यदि ऐसा नहीं होगा, तो हम रथ के आगे धरना देकर परिक्रमा को रोक देंगे। यह हमारी आस्था और संस्कृति का सवाल है।
इस विवाद पर जगदलपुर तहसीलदार राहुल गुप्ता ने कहा कि यह मुद्दा पहले भी उठ चुका है और इसे शासन स्तर तक भेजा जा चुका है। प्रशासनिक स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। शासन से जो भी निर्देश प्राप्त होंगे, उनका सख्ती से पालन किया जाएगा। हम सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।
Updated on:
25 Sept 2025 02:00 pm
Published on:
25 Sept 2025 01:59 pm
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