
नक्सल मुक्त होने के कगार पर बस्तर! दण्डकारण्य जिनके नाम से सिहर उठता था… गुडसा और कोसा ढेर(photo-patrika)
CG Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के दो बड़े लीडर सोमवार को अबूझमाड़ में तीन घंटे की मुठभेड़ के बाद ढेर कर दिए गए। यह ऑपरेशन अबूझमाड़-महाराष्ट्र सीमा पर सोमवार की कोहकामेटा ग्राम के नजदीक निलांगूर के जंगल में हुई। मारे गए नक्सली बस्तर में गुडसा उसेंडी और कोसा दादा के नाम से जाने जाते थे।
कहा जाता है कि एक वक्त में इनका नाम सुनकर भी अंदरूनी इलाके के लोग सिहर उठते थे। जिस तरह नक्सल संगठन में दुर्दांत नक्सली के रूप में हिड़मा का नाम लिया जाता है, ठीक उसी प्रकार गुडसा उसेंडी और कोसा दादा आतंक का दूसरा नाम थे। दोनों कितने बड़े नक्सली थे इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दोनों पर 1-1 करोड़ का इनाम छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में घोषित था।
दोनों सेंट्रल कमेटी के मेंबर थे। यह दोनों नक्सलियों के तेलुगु कैडर से आते थे। अबूझमाड़ इलाके में शीर्ष नक्सलियों के मौजूदगी की सूचना पर सुरक्षा बलों की संयुक्त टीमों का ऑपरेशन लांच किया गया था। सुबह 11 बजे पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। शेष ञ्चपेज ७
रुकरुकर करीब 3 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद जवानों ने जब घटना स्थल की सर्चिंग की तो दो वर्दीधारी पुरुष नक्सलियों के शव के साथ हथियार बरामद किए गए। अबूझमाड़ के सबसे अबूझ इलाके में में यह मुठभेड़ हुई है। बताया जा रहा है कि ऐसे इलाके में जवानों ने टॉप लीडरशीप को घेरा जहां से अब वापसी भी चुनौतीपूर्ण है।
मुठभेड़ जिस जगह पर हुई वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार पहले ही ग्राउंड प्लान तैयार कर जवान रवाना हुए। बताया जा रहा है कि बस्तर में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बन चुके डीआरजी के जवान फ्रंट पर थे। इस बीच बस्तर फाइटर्स और अलग-अलग थानों का बल घेराबंदी करते हुए आगे बढ़ रहा था।
डीआरजी को देखते ही नक्सलियों ने पहला फायर किया। इसके बाद बस्तर फाइटर और एसटीएफ ने कवर दिया। नक्सलियों के अंदाज में ही जवानों ने एक एंबुश बनाकर नक्सलियों को ऐसे जाल में फंसा लिया जहां से वे आसानी से निकल नहीं पाए। तीन घंटे की फायरिंग में ही दो बड़े नक्सलियों को जवान ढेर कर चुके थे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा की यह सफलता केवल नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक पड़ाव ही नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति, सुरक्षा और विकास की प्रक्रिया को और भी गति प्रदान करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नक्सलवाद का अंत अब पहले से कहीं अधिक निकट और निश्चित होता दिखाई दे रहा है।
Updated on:
23 Sept 2025 10:58 am
Published on:
23 Sept 2025 10:51 am
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