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CG News: बारिश ने बढ़ाई चिंता… खुले में पड़े 10 लाख क्विंटल धान को नुकसान का खतरा

CG News: यदि शीघ्र उठाव नहीं हुआ तो धान की नमी बढ़ेगी, जिससे उसका उपयोग खाद्यान्न के रूप में करना संभव नहीं रहेगा। इससे सरकारी राजस्व को नुकसान होगा।

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उठाव की सुस्त रफ्तार बनी चिंता का कारण (Photo source- Patrika)

उठाव की सुस्त रफ्तार बनी चिंता का कारण (Photo source- Patrika)

CG News: बस्तर संभाग के चार जिलों बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए करीब 10 लाख क्विंटल धान अब भी विभिन्न संग्रहण केंद्रों में खुले आसमान के नीचे पड़ा है। धान खरीदी को चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन उठाव प्रक्रिया की सुस्ती और कस्टम मिलिंग के अनुबंधों में देरी के कारण यह धान अब गुणवत्ता क्षरण के खतरे में है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन धान का उठाव अब तक नहीं हो पाया है, नीलामी प्रक्रिया और मिलर्स से कस्टम मिलिंग अनुबंधों के क्रियान्वयन में देरी की वजह से लाखों क्विंटल धान अब भी ट्रांसपोर्टेशन का इंतजार कर रहा है। यदि शीघ्र उठाव नहीं हुआ तो धान की नमी बढ़ेगी, जिससे उसका उपयोग खाद्यान्न के रूप में करना संभव नहीं रहेगा। इससे सरकारी राजस्व को नुकसान होगा।

CG News: बारिश और नमी ने बढ़ाई चिंता

बस्तर में मानसून दस्तक दे चुका है, और जून माह की शुरुआत से लगातार हो रही बारिश के कारण खुले में रखे धान की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कई स्थानों पर प्लास्टिक शीट से ढंकने की असफल कोशिशों के बावजूद नमी और फफूंद लगने की शिकायतें सामने आ रही हैं।

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प्रशासन का दावा व जमीनी हकीकत

जिला विपणन अधिकारी राजेंद्र कुमार ध्रुव का कहना है कि संग्रहण केंद्रों से धीरे-धीरे धान का उठाव हो रहा है और जल्द ही शेष धान भी उठा लिया जाएगा। हालांकि जमीनी हकीकत इस दावे से मेल नहीं खा रही। संग्रहण केंद्रों में धान से भरी बोरियों के ढेर देखे जा सकते हैं, और वहां काम कर रहे कर्मचारी भी स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हैं कि उठाव की रतार बेहद धीमी है।

कस्टम मिलिंग के अनुबंधों में अनियमितता

CG News: सूत्रों की मानें तो इस बार कस्टम मिलिंग के अनुबंधों को लेकर कोई ठोस योजना पहले से तैयार नहीं की गई, जिससे कई मिलर्स उठाव से पीछे हट रहे हैं। कुछ स्थानों पर मिलर्स ने अनुबंध होने के बावजूद अब तक एक भी ट्रक नहीं मंगवाया है। वहीं, कुछ संग्रहण केंद्रों से उठाव शुरू तो हुआ है, पर वह बड़ी मात्रा में नहीं हो पा रहा।