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Hanuman Jayanti Special: बस्तर से लगे तेलंगाना का यह अनूठा मंदिर, जहां हनुमान जी पूजे जाते हैं अपनी पत्नी के साथ

Hanuman Jayanti Special: तेलंगाना के खम्मम जिले के येल्नाडू गांव में हनुमान जी की पूजा उनकी पत्नी सुवर्चला के साथ की जाती है। यह हनुमानजी और सुवर्चला देवी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है।

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Hanuman Jayanti Special: बस्तर से लगे तेलंगाना का यह अनूठा मंदिर, जहां हनुमान जी पूजे जाते हैं अपनी पत्नी के साथ

Hanuman Jayanti Special: @आकाश मिश्रा/बस्तर से लगे तेलंगाना में हनुमान जी का ऐसा मंदिर है जहां वे आज अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ पूजे जाएंगे। यह विषय अचरज में डालने वाला है क्योंकि ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि हनुमान जी ब्रम्हचारी थे। रामायण और रामचरित मानस में भी हनुमान जी के ब्रह्मचारी होने का जिक्र है, लेकिन पराशर संहिता के अनुसार हनुमान जी का विवाह हुआ था। इस विवाह के बाद भी हनुमान जी ब्रह्मचारी ही रहे।

Hanuman Jayanti Special: हनुमान जी के विवाह का उत्सव

तेलंगाना के खम्मम जिले के येल्नाडू गांव में हनुमान जी की पूजा उनकी पत्नी सुवर्चला के साथ की जाती है। यह हनुमान जी और सुवर्चला देवी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है। साथ ही यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर भी है जहां हनुमान जी की अपनी पत्नी के साथ विराजित हैं। मंदिर में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को माता सुवर्चला और हनुमान जी के विवाह का उत्सव मनाया जाता है।

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विद्याओं की प्राप्ति के लिए करना पड़ा था विवाह

हनुमान जी के विवाह के पीछे एक रोचक कथा मिलती है। दरअसल भगवान सूर्य हनुमान जी के गुरु थे, जिनके पास 9 विद्याएं मौजूद थीं। वह इन विद्याओं का ज्ञान हनुमान जी को देना चाहते थे। पांच विद्याएं तो उन्होंने हनुमान जी को सिखा दीं, लेकिन जब अन्य चार की बारी आई तो वे धर्म संकट में फंस गए, क्योंकि यह चार विद्याएं सिर्फ विवाहित लोगों को ही दी जा सकती थीं। समस्या के समाधान के लिए सूर्यदेव ने बजरंगबली को विवाह करने का सुझाव दिया।

हनुमान जी विवाह के लिए राजी नहीं थे

Hanuman Jayanti Special: कहा जाता है कि पहले तो हनुमान जी इस विवाह के लिए राजी नहीं हुए, लेकिन जब सूर्य देव ने कहा कि यह कन्या तपस्या कर पुन: उनके तेज में ही विलीन हो जाएगी। तब हनुमान जी इस विवाह के लिए मान गए। तब जाकर उनकी विवाह सूर्यदेव की तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला के साथ हुआ। हालांकि विवाह करने के बाद भी हनुमान जी ब्रह्मचारी ही रहे। विवाह के बाद सुवर्चला भी तपस्या में लीन हो गईं।