
महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने ही उठा ली फावड़ा-तगाड़ी, दो दिन में बना दी पुलिया, जानें पूरी खबर...(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में 26 अगस्त को बस्तर में आफत बनकर बरसी भयंकर बारिश ने चारों ओर तबाही मचा दी। बाढ़ ने जनहानि, घर-जमीनों को बहा दिया, सडक़ें-पुल-पुलियां टूट गईं और सैकड़ों लोग बेघर हो गए। लगभग 40 दिन बीत चुके हैं, लेकिन बाढ़ का दर्द अभी भी बस्तर के ग्रामीणों के सीने में धंसा हुआ है।
क्षतिग्रस्त सडक़ों और पुल-पुलियों की मरम्मत के लिए शासन-प्रशासन से बार-बार मांग के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। परेशान ग्रामीणों ने शुक्रवार को हार नहीं मानी और श्रमदान का बीड़ा उठाया। घरों से रापा, तगाड़ी, गैती, ट्रैक्टर और खाना बनाने की सामग्री लेकर वे टूटी सडक़ पर पहुंचे और निर्माण कार्य में जुट गए और दो दिन में बना दिया देसी जुगाड़ से पुलिया।
सालेपाल और बारूपाटा के लोगों ने जिम्मेदारी निभाई: इस श्रमदान अभियान में सालेपाल और बारूपाटा ग्राम पंचायतों के सैकड़ों ग्रामीण शामिल हैं। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं-पुरुष सभी एकजुट होकर काम में लगे हुए हैं। स्थानीय ग्रामीण शंकर ने बताया कि सुबह 6 बजे से हम कार्य में जुटे हैं।
आधा काम पूरा हो चुका है, बाकी आधा भी शाम तक ही खत्म कर देंगे। सड़क बनाकर ही घर लौटेंगे। टूटी सडक़ के दोनों ओर करीब 5 ट्रैक्टर लगाए गए हैं, जो मिट्टी भरने और समतल करने का काम कर रहे हैं।
जनपद सदस्य अनिल मंडावी ने बताया कि सडक़ निर्माण के लिए शासन-प्रशासन से मदद मांगी गई, लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला। बाढ़ के बाद कोई अधिकारी, कर्मचारी या जनप्रतिनिधि निरीक्षण के लिए नहीं आया। जनपद सहित सभी जगह सडक़ें टूटने की जानकारी दी गई, लेकिन समाधान किसी ने नहीं किया। इस टूटी सडक़ पर कई लोग गिर चुके हैं और गिरने से एक युवक की मौत भी हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि एक दिन पहले दोनों ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई, जहां निर्णय लिया गया कि प्रशासन से समाधान न मिलने पर खुद ही निर्माण करेंगे। क्षेत्र के सहदेव नाग ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ग्रामीणों ने जनपद कार्यालय, जिला कार्यालय और विधायक के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं, लेकिन सब अनदेखा कर दिया गया। मजबूरी में ग्रामीणों को खुद सडक़ बनानी पड़ रही है। दुख की बात है कि सरकार का काम ग्रामीण कर रहे हैं।
बारूपाटा सरपंच मनीराम बेंजाम ने बताया कि बस्तर का प्रसिद्ध हिल स्टेशन मचनार पर्यटन स्थल तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है। इस मार्ग पर ही एक युवक की मौत हो चुकी है। 1 किलोमीटर का रास्ता अब घूमकर 12 किलोमीटर हो गया है।
दूसरे पाड़ा के लोग राशन लेने के लिए भी 12 किमी का सफर कर रहे हैं। सड़क बनाने की मांग पर जल्द करेंगे कहकर टालते रहे, इसलिए यह कदम उठाया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने खुद के सहयोग से भोजन भी तैयार किया है, ताकि आज ही सडक़ निर्माण पूरा हो सके।
Updated on:
04 Oct 2025 12:45 pm
Published on:
04 Oct 2025 12:44 pm
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