
RSMSSB: जयपुर। सर्दी के मौसम में परीक्षार्थियों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने आगामी परीक्षाओं में परीक्षार्थियों को ठंड से बचने के लिए जूते और मौजे पहनने की अनुमति दे दी है। बोर्ड अध्यक्ष आलोक राज ने स्वयं इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अब उम्मीदवार सर्दी से बचाव के लिए जूते पहनकर परीक्षा केंद्रों पर जा सकेंगे।
अब तक सुरक्षा कारणों के चलते परीक्षाओं के दौरान अभ्यर्थियों को जूते उतारकर केवल चप्पल या स्लीपर में ही प्रवेश दिया जाता था। लेकिन सर्दी के मौसम में यह नियम परीक्षार्थियों के लिए असुविधाजनक साबित हो रहा था। अभ्यर्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इस बार ठंड से राहत देने वाला निर्णय लिया है।
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा मानकों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा, इसलिए जूतों की जांच पूर्ववत रहेगी। इस निर्णय से लाखों अभ्यर्थियों को सर्दी के मौसम में बड़ी राहत मिलेगी और वे बिना ठंड की चिंता के परीक्षा पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा परीक्षा में जूते और मौजे पहनने की अनुमति देने के बावजूद, परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया है कि कई परीक्षा केंद्रों पर अब भी मनमानी जारी है। अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी इस तरह व्यक्त की —
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"आप कोई भी नियम बना लीजिए, लेकिन सेंटर वालों की मनमर्जी ही चलती है। सभी परीक्षा केंद्रों पर समान नियम लागू हों, इसकी व्यवस्था भी होनी चाहिए।"
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"सर, आप कह देते हैं कि जूते पहनने की अनुमति है, पर एग्ज़ाम सेंटर वाले अपनी मर्ज़ी चलाते हैं। यहां तक कि चप्पल भी बाहर उतरवा लेते हैं। VDO परीक्षा में सेंटर नंबर 15044 पर ऐसा ही हुआ था।"
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"मेरा VDO का सेंटर 'सोमानी इंटरनेशनल स्कूल, कालवाड़ रोड, झोटवाड़ा' आया था। वहां जूते और मोज़े स्कूल के प्ले ग्राउंड में ही उतरवा लिए गए। फुल आस्तीन की शर्ट और जर्सी की बाहें ऊपर करने के लिए कहा गया। जब विरोध किया तो परीक्षा केंद्र से बाहर निकालने की धमकी दी गई।"
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"सर, जो नियम आप बताते हैं, उन्हें परीक्षा केंद्र के गेट पर भी चस्पा करने का निर्देश दें ताकि पुलिसकर्मी और केंद्राधीक्षक मनमानी न कर सकें। जो अधिकारी नियमों का पालन न करें, उनकी उस दिन की सैलरी काटी जानी चाहिए।"
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"स्कूल वालों को समझाइए, वे मानते ही नहीं! कंडक्टर की परीक्षा में जूते-चप्पल सब उतरवा दिए गए थे। अब बताइए, क्या करें बच्चे?"
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"सर, आप तो कह देते हैं कि जूते-मोजे अलाउड हैं, लेकिन सेंटर वाले कोई बात नहीं मानते। लड़कियों की चुनरी और दुपट्टे उतरवा देते हैं, और पटवार परीक्षा में तो लड़कों की फुल स्लीव टी-शर्ट भी उतरवा दी गई थी। साधारण चप्पल भी बाहर उतरवाते हैं। वहां बोर्ड के नियम कोई नहीं पढ़ता।"
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"आप कहते हैं कि जूते और मोज़े अलाउड हैं, लेकिन सेंटर पर अधिकारी आपकी बात नहीं मानते। यहाँ तक कि मोली/कलावा भी उतरवा देते हैं।"
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"आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय, ब्यावर में जूते-चप्पल स्कूल के मुख्य द्वार पर ही उतरवाए जाते हैं। वॉशरूम भी बिना चप्पल के जाने को कहा जाता है। निजी विद्यालय मनमानी करते हैं, ऐसे विद्यालयों को अगली बार परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए।"
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"आप ट्विटर पर सारी जानकारी तो देते हैं, लेकिन सेंटर पर कोई शिक्षक उन्हें फॉलो नहीं करता। कुछ समय पहले हाथ में बंधे धागे/कलेवा न काटने की बात कही थी, पर उसे भी नहीं माना गया। मेरा सेंटर VDO परीक्षा के लिए उदयपुर के St. Teresa Sr. Sec. School, सेक्टर-14 में था, वहां धागे खुलवाए गए और जूते-मोजे भी उतरवाए गए।"
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"सर, परीक्षा केंद्रों पर स्पष्ट निर्देश लगाए जाने चाहिए कि क्या अलाउ है और क्या नहीं, ताकि अभ्यर्थी और सेंटर दोनों परेशान न हों। यह सुझाव आपको कैसा लगा?"
Updated on:
09 Nov 2025 03:16 pm
Published on:
09 Nov 2025 01:51 pm
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