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रविंद्र सिंह भाटी, राजस्थान का वो नेता, जिसकी किस्मत में लिखा है बागी बनकर जीत का ताज पहनना

Ravindra Singh Bhati: अगर राजस्थान में विधानसभा चुनाव का जिक्र होता है तो सबसे पहले उम्मीदवार भाजपा या कांग्रेस से टिकट पाने की इच्छा रखते हैं। छात्रसंघ चुनावों में एबीपीवी और एनएसयूआई ही छात्रनेताओं की पहली पसंद होती है, लेकिन इस बीच राजस्थान में एक नेता ऐसा भी निकलकर आया, जिसकी किस्मत में बागी बनकर ही जीत का ताज पहनना लिखा था।

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Ravindra Singh Bhati: अगर राजस्थान में विधानसभा चुनाव का जिक्र होता है तो सबसे पहले उम्मीदवार भाजपा या कांग्रेस से टिकट पाने की इच्छा रखते हैं। छात्रसंघ चुनावों में एबीपीवी और एनएसयूआई ही छात्रनेताओं की पहली पसंद होती है, लेकिन इस बीच राजस्थान में एक नेता ऐसा भी निकलकर आया, जिसकी किस्मत में बागी बनकर ही जीत का ताज पहनना लिखा था। यहां बात युवा नेता रविंद्र सिंह भाटी की हो रही है। अपने राजनीतिक जीवन में भाटी ने दो बार ऐसा कारनामा किया कि दिग्गज नेता देखते ही रह गए। भाटी ने पहले बागी बन छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीता और अब राजस्थान विधानसभा चुनाव में शिव से निर्दलीय ताल ठोंककर अपने बढ़ते राजनीतिक ग्राफ से सभी को चौंका दिया।


4 साल पहले भी रचा था इतिहास
बात साल 2019 की है, जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गईं थी। रविंद्र सिंह भाटी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें बड़ा झटका लगा और टिकट नहीं मिला। इसके बाद रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। धीरे-धीरे युवाओं में उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही गई और चुनावों में उन्होंने इतिहास रचते हुए अध्यक्ष पद अपने नाम कर लिया। निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी 1294 वोटों से जीते थे। इस चुनाव में ABVP तीसरे नम्बर पर चली गई, जबकि NSUI यूनिवर्सिटी में हैट्रिक लगाने से चूक गई। इसके बाद भाटी छात्र हितों को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे। इसी चलते युवाओं में भाटी की खासी लोकप्रियता हो गई। पिछले साल ‘रन फॉर रेगिस्तान’ नाम की मैराथन निकालकर भाटी ने हजारों की संख्या में युवाओं को इकठ्ठा कर शक्ति प्रदर्शन किया था। इसके बाद वे विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए। चुनाव से पहले ही भाटी ने भाजपा ज्वाइन की और शिव विधानसभा सीट से टिकट मांगा, लेकिन इस बार भी उनकी किस्मत में बागी बनकर लड़ना ही लिखा। भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद भाटी ने हार नहीं मानी और शिव विधानसभा से सेब के चुनाव चिह्न पर निर्दलीय चुनाव जीत इतिहास रच दिया।

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आपको बता दें कि रविंद्र सिंह भाटी जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले में हुआ था। इनका गांव दूधोडा हैं। इनके पिता शैतान सिंह भाटी टीचर हैं, जबकि माता अशोक कंवर गृहणी हैं। रविंद्र सिंह भाटी का धनिष्ठा कंवर के साथ विवाह हुआ। उन्होंने साल 2015 में जोधपुर की जय नारायण यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और LLB की पढ़ाई शुरू की। जोधपुर की JNVU में आने के बाद रविन्द्र सिंह भाटी ने छात्र राजनीति में भी कदम रख दिया। साल 2016 से लेकर 2018 तक रविन्द्र सिंह भाटी यूनिवर्सिटी के एक सक्रिय छात्र नेता बनकर उभरे, जो हर दम छात्रों के काम हाजिर थे।

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