…काश ये रिपोर्ट्स गलत हो
मनीषा ने बताया उनका कैंसर नेपाल में ही डाइग्नोस हो गया था, ये मेरे और परिवार के लिए शॉकिंग था। इसके बाद मुंबई में फिर से चैकअप कराने का फैसला किया। काठमांडू से मुंबई की फ्लाइट में सिर्फ यही सोच रही थी कि काश ये पिछली रिपोर्ट गलत हो। जब मुंबई में सारे टेस्ट के बाद डॉक्टर मेरे पास आ रहे थे, तब दूर से ही उनके फेस एक्सप्रेशन से मैं समझ गई थी कि मेरे लिए बेड न्यूज ही है। इसके बाद हमने न्यूयॉर्क में इलाज करवाने का फैसला लिया।
मनीषा ने बताया उनका कैंसर नेपाल में ही डाइग्नोस हो गया था, ये मेरे और परिवार के लिए शॉकिंग था। इसके बाद मुंबई में फिर से चैकअप कराने का फैसला किया। काठमांडू से मुंबई की फ्लाइट में सिर्फ यही सोच रही थी कि काश ये पिछली रिपोर्ट गलत हो। जब मुंबई में सारे टेस्ट के बाद डॉक्टर मेरे पास आ रहे थे, तब दूर से ही उनके फेस एक्सप्रेशन से मैं समझ गई थी कि मेरे लिए बेड न्यूज ही है। इसके बाद हमने न्यूयॉर्क में इलाज करवाने का फैसला लिया।
आंटी की बात दिल छू गई
मनीषा ने बताया कि जब मैं न्यूयॉर्क में इलाज ले रही थी, तब मेरी मां की एक फ्रेंड, जो मेनहेटन में डॉक्टर थी, वो पूरा संडे मेरे साथ बिताने आती थी। मैंने उन आंटी से कहा कि आपका इतनी व्यस्त रहती हैं, आपका परिवार है, कई और भी जिम्मेदारी हैं, तब भी आप पूरा दिन मुझे कैसे दे सकते हो। इस पर उनका जवाब था कि मैं वहां होती हूं, जहां मेरी जरूरत होती है। आंटी की ये बात मेरे दिल को छू गई और उस दिन खुद से वादा किया किया कि अगर जिंदगी ने मुझे फिर मौका दिया, तो मैं भी उन्हें पूरा समय दूंगी, जिन्हें मेरी जरूरत है।
मनीषा ने बताया कि जब मैं न्यूयॉर्क में इलाज ले रही थी, तब मेरी मां की एक फ्रेंड, जो मेनहेटन में डॉक्टर थी, वो पूरा संडे मेरे साथ बिताने आती थी। मैंने उन आंटी से कहा कि आपका इतनी व्यस्त रहती हैं, आपका परिवार है, कई और भी जिम्मेदारी हैं, तब भी आप पूरा दिन मुझे कैसे दे सकते हो। इस पर उनका जवाब था कि मैं वहां होती हूं, जहां मेरी जरूरत होती है। आंटी की ये बात मेरे दिल को छू गई और उस दिन खुद से वादा किया किया कि अगर जिंदगी ने मुझे फिर मौका दिया, तो मैं भी उन्हें पूरा समय दूंगी, जिन्हें मेरी जरूरत है।
दादी ने किया सपोर्ट…बन गई ‘ईलू-ईलू’ गर्ल
नेपाल की राजनीतिक परिवार से बॉलीवुड डेब्यू को लेकर मनीषा ने बताया कि उन्हें अभिनय का शुरू से शौक था। मनीषा ने फिल्मों के लिए अनुमति मां से बर्थडे गिफ्ट के रूप में मांगी थी। वैसे इंडस्ट्री को लेकर किसी का अच्छा नजरिया नहीं था, लेकिन दादी ने उन्हें सबसे ज्यादा सपोर्ट किया। मनीषा की दादी का कहना था कि कोई काम अच्छा या बुरा नहीं होता, बस लोग बुरे होते हैं। मनीषा ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले ऋषि कपूर की फिल्म ‘हिना’ के लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन मुख्य अभिनेत्री फाइनल हो चुकी थी। मुझे सैकंड लीड रोल का प्रस्ताव मिला, पर मुझे मुख्य भूमिका ही करनी थी। इसके बाद मैंने फिल्म ‘प्रेम’ के लिए ऑडिशन दिया। उन दिनों मेरी मां की एक दोस्त ने मुझे कॉल किया और कहा कि सुभाष घई अपनी नई फिल्म के लिए एक नया चेहरा ढूंढ रहे हैं, तो मैं ऑडिशन के लिए पहुंच गई। आखिरकार घई साहब की फिल्म ‘सौदागरÓ से मैंने अभिनय की शुरूआत की और बन गई ‘इलू-इलू गर्ल।
नेपाल की राजनीतिक परिवार से बॉलीवुड डेब्यू को लेकर मनीषा ने बताया कि उन्हें अभिनय का शुरू से शौक था। मनीषा ने फिल्मों के लिए अनुमति मां से बर्थडे गिफ्ट के रूप में मांगी थी। वैसे इंडस्ट्री को लेकर किसी का अच्छा नजरिया नहीं था, लेकिन दादी ने उन्हें सबसे ज्यादा सपोर्ट किया। मनीषा की दादी का कहना था कि कोई काम अच्छा या बुरा नहीं होता, बस लोग बुरे होते हैं। मनीषा ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले ऋषि कपूर की फिल्म ‘हिना’ के लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन मुख्य अभिनेत्री फाइनल हो चुकी थी। मुझे सैकंड लीड रोल का प्रस्ताव मिला, पर मुझे मुख्य भूमिका ही करनी थी। इसके बाद मैंने फिल्म ‘प्रेम’ के लिए ऑडिशन दिया। उन दिनों मेरी मां की एक दोस्त ने मुझे कॉल किया और कहा कि सुभाष घई अपनी नई फिल्म के लिए एक नया चेहरा ढूंढ रहे हैं, तो मैं ऑडिशन के लिए पहुंच गई। आखिरकार घई साहब की फिल्म ‘सौदागरÓ से मैंने अभिनय की शुरूआत की और बन गई ‘इलू-इलू गर्ल।