जयपुर में आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमले के आरोपी के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने के मामले का हवाला देकर नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन ने अवमानना याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाया कि अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर निर्माण ध्वस्त किया। इसमें बताया कि 17 अक्टूबर 2024 को शरद पूर्णिमा कार्यक्रम के दौरान 10 आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमले से संबंधित एक आरोपी के निर्माण पर बुलडोजर चलाया गया।
इस कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति नहीं ली गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका कि उसकी अनुमति बिना देश में कहीं भी इस तरह के निर्माण को नहीं हटाया जाए। कोर्ट ने केवल सार्वजनिक स्थानों जैसे रोड, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जल निकायों के पास स्थित संपत्तियों को ही आदेश के दायरे से बाहर रखा।
अतिरिक्त महाधिवक्ता शर्मा ने रखा राजस्थान सरकार का पक्ष
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने उत्तरप्रदेश सरकार और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने राजस्थान सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से याचिकाकर्ता संगठन निजी तौर पर कैसे प्रभावित हुआ है और उनकी ओर से कोई ठोस साक्ष्य भी पेश नहीं किया गया। शर्मा ने कहा कि जयपुर के जिस मामले का हवाला दिया है, वह सुविधा क्षेत्र में बने एक कमरे से संबंधित है। आरोपी का घर नहीं है।
कोर्ट ने माना-अवमानना याचिका को लंबित रखना उचित नहीं
कोर्ट ने सवाल उठाया कि बुलडोजर कार्रवाई को लेकर याचिकाकर्ता संगठन के अधिकार कैसे प्रभावित हुए। याचिका मुख्य तौर पर मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, अवमानना के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया। ऐसे में अवमानना याचिका को लंबित रखना उचित नहीं है।