
पत्रिका फाइल फोटो
जयपुर। राजस्थान में तीन बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार बताई जा रही केयसंस फार्मा की डैक्ट्रामैट्रोफन एचबीआर सिरप आइपी 13.5 मिग्रा-5 मिली (440) को क्लीन चिट देने की तैयारी शुरू हो गई है। चिकित्सा विभाग ने मामले की पहली जांच रिपोर्ट जारी करते हुए दावा किया कि मृत बच्चों को सिरप चिकित्सकों ने नहीं लिखी। उनके परिवारजनों के बीमार होने पर उन्हें यह सिरप लिखी गई थी। बच्चों के बीमार पड़ने पर घर पर ही परिवारजनों ने उन्हें यह सिरप दी। जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई।
विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सीकर के ग्राम खोरी के नित्यांश को 7 जुलाई को बुखार-जुकाम की शिकायत पर सीएचसी चिराना, झुंझुनूं में दिखाया गया था। पर्ची में सिरप डेक्ट्रामैट्रोफन नहीं लिखी गई थी। बच्चे की माता खुशबू शर्मा ने बताया कि 28 सितंबर को रात्रि 9 बजे बच्चे को हल्की खांसी की शिकायत हुई। तब पहले से घर में रखी डैक्ट्रामैट्रोफन 5 एमएल कफ सिरप माता ने बच्चे को दी थी। 29 सितम्बर को रात्रि 2 बजे बच्चे ने पानी पिया और सो गया। तब तक बच्चा ठीक था।
सुबह 5 बजे मां उठी तो बच्चा बेसुध था। बच्चे को राजकीय श्री कल्याण अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। सीकर के अजीतगढ़ ब्लॉक की हाथीदेह पीएचसी पर एक बच्चे को खासी की यह दवा लिखे जाने का मामला सामने आया था। जिस पर चिकित्सक डॉ. पलक एवं फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित करने की कार्रवाई की जा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर दवा के संबंध में एडवायजरी जारी की जा रही है।
भरतपुर के कलसाडा निवासी 30 वर्षीय मोनू जोशी को खांसी-जुकाम व बुखार होने पर सीएचसी कलसाडा में सिरप डेक्ट्रामैट्रोफन हाइड्रो ब्रोमाइड लिखी गई थी। मोनू ने अपने तीन वर्षीय पुत्र गगन के जुकाम व निमोनिया होने पर बिना चिकित्सक की सलाह के यह सिरप उसे पिला दी। गगन की तबियत ज्यादा खराब होने पर वे महुआ लेकर गए। मरीज की गम्भीर अवस्था को देखते हुए उसे जेके लोन जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया। 25 सितम्बर को ही दोपहर 2 बजे गगन को जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। मरीज की स्थिति में सुधार होने पर उसे 27 सितम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया। इसी तरह 18 सितम्बर को 50 साल नहनी को उप केन्द्र, मलाह पर उप केन्द्र स्तर की पीसीएम दवाई दी गई थी। मृतक बच्चे सम्राट की मौत का कारण विभाग ने निमोनिया बताया है।
केयसंस फार्मा की डैक्ट्रामैट्रोफन एचबीआर सिरप आइपी 13.5 मिग्रा-5 मिली (440) को राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) ने न क्वालिटी जांच में फेल पाया और न ही उसे डिबार किया। इस कंपनी ने बच्चों की कफ सिरप के 21 बैचों का निर्माण निःशुल्क दवा योजना के लिए ही किया था। 14 फरवरी 2025 को कंपनी की दूसरी कॉबिनेशन कफ सिरप एक्सपेक्टोरांट 50 एमएल (692) को अमानक श्रेणी का पाए जाने पर एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया गया था। उक्त कंपनी के इस समय प्रतिबंधित दवा में एम्ब्रोक्सोल हाइड्रोक्लोराइड, टरब्यूटालाइन सल्फेट, गुआइफेनेसिन और मेन्थॉल सिरप (कफ सिरप कफ निस्सारक) 50 मिली कोड 692 शामिल है।
यह भी सामने आया कि हाईकोर्ट के एक आदेश के आधार पर घुलनशीलता परीक्षण (डिसोल्यूशन टेस्ट) में असफल दवाओं को कम दोष बताया जा रहा है। जबकि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार ऐसी दवाएं गंभीर रूप से सब-स्टैंडर्ड श्रेणी में आती हैं। विभाग ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का वह आदेश अभी अपील के अधीन है, इसलिए विभागीय अधिकारियों को उस पर अमल न करने के निर्देश दिए गए हैं।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय में नकली दवाइयों की परिभाषा और उसकी रिपोर्टिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आयुक्तालय की ओर से विधानसभा और केंद्र सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में नकली दवाओं के आंकड़े कम करके दिखाए गए। औषधि नियंत्रक द्वितीय राजाराम शर्मा ने अपनी राय में कहा कि असली निर्माता की दवा में कोई घटक शून्य होता है तो वह नकली की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। उनकी इस राय पर विभाग ने चेतावनी दी है कि किसी भी नोटशीट या आधिकारिक दस्तावेज में छेड़छाड़ को गंभीर अनियमितता माना जाएगा।
पूरी कंपनी गंभीर मामलों में ही प्रतिबंधित की जाती है। कंपनी प्रतिबंधित होगी तो बाजार में दवाइयां आएंगी कहां से? सीकर, भरतपुर का मामला गंभीर है।
-राजाराम शर्मा, औषधि नियंत्रक
Updated on:
03 Oct 2025 08:17 am
Published on:
03 Oct 2025 08:16 am
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