
तक धूल भरी आंधी का शहर में असर
जयपुर। बारिश का इंतजार ( monsoon in rajasthan ) कर रहे जयपुर के लोगों को बुधवार को भी राहत नहीं मिली। वहीं गर्मी ने अपना जोरदार असर दिखाया। अधिकतम पारा ( temperature in Rajasthan ) 41 डिग्री पर पहुंच गया। हालांकि पिछले दिनों हुई बारिश के बाद तेज गर्मी से हल्की राहत मिली थी, लेकिन बुधवार को दिनभर उमस के साथ सूरज के तीखे तेवर रहे।
राजस्थान में बारिश की संभावना
मौसम विभाग की मानें तो मानसून ( Monsoon In Rajasthan 2019 Forecast ) आने में अभी समय है। 4 जुलाई तक मानसून जयपुर में आने की संभावना जताई जा रही है। 27 जून को ( latest weather news in rajasthan ) जयपुर समेत कई जिलों में 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने, बारिश की संभावना जताई गई है।
कपासन में ढाई इंच बारिश, प्रतापगढ़ में झमाझम
चित्तौडढ़ जिले के कपासन, भदेसर, राशमी क्षेत्र में बुधवार को तेज बारिश ( heavy rain in Rajasthan ) हुई। जिले में सर्वाधिक ढाई इंच बारिश कपासन में दर्ज हुई। जिला बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार कपासन में 60 मिलीमीटर, भदेसर में 33 एमएम, राशमी में 28, चित्तौड़ व गंगरार में दो-दो मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।
प्रतापगढ़ जिले में अरनोद, दलोट, मोखमपुरा आदि स्थानों पर जमकर बारिश हुई। प्रतापगढ़ में तेज बारिश का दौर करीब पौन घंटे तक चला। इस दौरान शहर में एक बारगी यातायात थम सा गया। वहीं जोधपुर के अधिकांश हिस्सों में उमस भरा मौसम बना रहा। जोधपुर में दिन का तापमान 41 डिग्री तक पहुंच जाने से तेज गर्मी रही।
अलनीनो का प्रभाव खत्म, अलर्ट वापस
इधर मानसून की देरी से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर है। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने अपने अलनीनो अलर्ट को वापस ले लिया है। ब्यूरो की ओर से कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में अलनीनो के विकसित होने की तत्काल संभावना ( El Nino Effect In India ) नहीं दिखाई दे रही है, इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिमी मानसून पर इसके प्रभाव का अंदेशा भी खत्म हो गया है। भारतीय मौसम विभाग ( Imd weather forecast ) ने जून से सितंबर के बीच 96 प्रतिशत वर्षा का पूर्वानुमान जताया था।
आइओडी ने भी जगाई उम्मीद
गौरतलब है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश, जहां की लगभग सत्तर प्रतिशत जनता ग्रामीण इलाकों में रहती है और देश का आधा कृषि क्षेत्र पूरी तरह से पानी के लिए वर्षा पर निर्भर करता है, के लिए ये खबर काफी सुकूनभरी है।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार हिंद महासागर डिपोल (आइओडी) भी पाया गया है, जो कि मानसूनी वर्षा के लिए अच्छा बताया जाता है। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने भी कुछ ऐसी ही उम्मीद जताई है।
- 1970 के बाद से अब तक 9 साल अलनीनो रहा है, लेकिन केवल एक बार मानसून पर इसका असर नहीं दिखा।
- 8 बार मानूसन अलनीनो की वजह से कमजोर रहा, इससे पता चलता है कि अल नीनो बनने और मानसून के बीच काफी गहरा संबंध है।
- 1997 में सबसे मजबूत अलनीनो में से एक के बावजूद मानसून की बारिश सामान्य से 2 फीसदी ज्यादा रही।
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Updated on:
27 Jun 2019 08:51 am
Published on:
27 Jun 2019 08:49 am
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