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जयपुर की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर की कैसे बढ़ गई 315 फीसदी संपत्ति? ACB की जांच में चौंकाने वाले खुलासे, पति जा चुके हैं जेल

जयपुर हेरिटेज की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है। बड़े-बड़े खुलासे सामने आ रहे हैं। अब इनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है।

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जयपुर

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Kamal Mishra

Nov 07, 2025

Former Mayor Munesh Gurjar

जयपुर की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर (फोटो-पत्रिका)

जयपुर। नगर निगम हेरिटेज की पूर्व महापौर मुनेश गुर्जर एक बार फिर आय से अधिक संपत्ति के मामले को लेकर सुर्खियों में हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने हाल ही में मुनेश गुर्जर और उनके पति सुशील कुमार गुर्जर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया है। जांच में उनके पास आय से करीब 315 प्रतिशत अधिक संपत्ति पाई गई।

एसीबी की दो साल चली जांच में खुलासा हुआ कि महापौर बनने से पहले मुनेश गुर्जर के पास लगभग 23.84 लाख रुपए की संपत्ति थी। लेकिन, 33 महीने के कार्यकाल के दौरान यह बढ़कर 2.09 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। ब्यूरो के अनुसार, उनकी वास्तविक आय (वेतन और ब्याज समेत) करीब 50.57 लाख रुपए थी। जबकि जांच में कुल संपत्ति 2 करोड़ से ज्यादा पाई गई, जो आय से कई गुना अधिक है।

पति के बैंक खाते से लेन-देन

एसीबी ने इस संबंध में मुनेश गुर्जर और उनके पति दोनों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (DA) का केस दर्ज किया है। जांच में यह भी सामने आया कि पति सुशील गुर्जर के कई बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन हुए हैं। अब इस पूरे मामले की जांच एएसपी संदीप सारस्वत को सौंपी गई है।

पति जा चुके हैं जेल

गौरतलब है कि मुनेश गुर्जर इससे पहले भी विवादों में रह चुकी हैं। महापौर कार्यकाल के दौरान उन पर पट्टे जारी करने के एवज में रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। इसी प्रकरण में एसीबी ने उनके पति सुशील गुर्जर को दो साल पहले दो लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। उस समय इनके घर से 40 लाख रुपए नकद और पट्टों से जुड़ी कई फाइलें बरामद हुई थीं। बताया गया कि रिश्वत का लेन-देन घर से ही होता था। इस मामले में कई महीनों तक सुशील गुर्जर जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद था।

सपंत्ति बढ़ने का वैध स्रोत नहीं मिला

अब ताजा जांच में एसीबी ने यह पाया कि 2020 से 2023 के बीच मुनेश गुर्जर ने पद का दुरुपयोग कर करीब 1.59 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित की। जांच एजेंसी के अनुसार, इस पूरी संपत्ति वृद्धि का कोई वैध स्रोत नहीं मिला है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मामले को गंभीर मानते हुए आगे की पड़ताल तेज कर दी है।