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राज्यपाल हरिभाऊ बागडे बोले- न्यूटन से पहले हमने दी गुरुत्वाकर्षण थ्योरी, ‘सूर्य-पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे को खींचकर रखते हैं’

Governor Haribhau Bagde Statement: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा, न्यूटन से पहले गुरुत्वाकर्षण थ्योरी हमने दी थी। 380 साल पूर्व भास्कराचार्य ने बताया था, सूर्य-पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे को खींचकर रखते हैं।

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जयपुर

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Kamal Mishra

May 27, 2025

Governor Haribhau Bagde

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे संबोधित करते हुए (फोटो- @BagadeHaribhau)

जयपुर: राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने अपेक्स यूनिवर्सिटी के तृतीय दीक्षांत समारोह में नई शिक्षा नीति को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह भारतीयता से ओतप्रोत संस्कारमय समाज का निर्माण करने वाली है। उन्होंने विश्वविद्यालय में शिक्षकों को आदर्श आचरण के साथ नवीनतम ज्ञान से अपडेट रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी विश्वविद्यालय में प्राप्त ज्ञान और शिक्षा का उपयोग 'विकसित भारत' के लिए करें।


राज्यपाल बागडे ने कहा कि आप और हम सबने यही पढ़ा है कि गुरुत्वाकर्षण की थ्योरी न्यूटन ने दी थी। 1530 में न्यूटन ने तो शोध किया था। 1150 में भास्कराचार्य ने लीलावती ग्रंथ में गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिख दिया था। राज्यपाल ने कहा, भास्कराचार्य की बेटी का नाम लीलावती था, वह विधवा थी। उनके पास ही रहती थी। लीलावती ने भास्कराचार्य से पूछा था कि बाबा आप बोलते हैं सूर्य स्थिर है। पृथ्वी उसके चारों तरफ घूमती है। चंद्रमा उसके चारों ओर घूमते हैं। यह गिरते क्यों नहीं है?

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भास्कराचार्य ने उत्तर दिया था कि ये एक दूसरे को आकर्षित करके खींच कर रखते हैं। इसलिए गिरते नहीं है। एक दूसरे को आकर्षित करना और गुरुत्वाकर्षण दोनों एक ही है। भास्कराचार्य ने 1150 में लिखा और उसके बाद 1530 में न्यूटन ने थ्योरी दी। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे सोमवार को अपेक्स यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।


ग से गणपति पढ़ाया जाता था, गधा कर दिया


राज्यपाल ने कहा, जब हिंदी वर्णमाला सीखते थे तो ग से गणपति पढ़ाया जाता था, लेकिन इस पर भी कई लोगों ने आपत्ति की कि गणपति धार्मिक शब्द है। यह एक धर्म का है, यह नहीं चलेगा। ग गधा चलेगा, लेकिन गणपति नहीं चलेगा। ऐसे विचार करने वाले भी हमारे देश में लोग थे। पाठ्य पुस्तक बनाने वाले भी ऐसे ही लोग थे।


कॉपी करके पास हो जाना या रटना शिक्षा नहीं


राज्यपाल ने कहा, शिक्षा का ध्येय बच्चों की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना है। कॉपी करके पास हो जाना या रटना शिक्षा नहीं है। शिक्षा का अर्थ है, पढ़े हुए को समझकर अपनी बात रखना। नई शिक्षा नीति में सीखने में विद्यार्थी की स्वतंत्रता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। नई शिक्षा नीति भारतीयता से ओतप्रोत संस्कारमय समाज का निर्माण करने वाली है। विश्वविद्यालय शिक्षकों को आदर्श आचरण के साथ नवीनतम ज्ञान से अपडेट रहना चाहिए। विद्यार्थी विश्वविद्यालय में प्राप्त ज्ञान और शिक्षा का उपयोग विकसित भारत के लिए करें।


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