
जयपुर में करीब 80 हजार डॉग। फोटो पत्रिका
Jaipur News : राजधानी जयपुर की कई कॉलोनियों में लोग श्वानों से परेशान हैं। रात को ये बाइक के पीछे दौड़ते हैं, तो कभी बच्चों पर हमला कर देते हैं। राजधानी में कई घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि निगम की ओर से लोगों को बचाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। संसाधनों की बात करें तो जयसिंहपुरा खोर में सिर्फ एक श्वान घर है, जिसमें 300 श्वानों को रखने की ही व्यवस्था है। जबकि, राजधानी की सड़कों पर करीब 80 हजार श्वान के होने का अनुमान है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद जयपुर में भी श्वानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज होना तय है। यहां रोजाना 50 से 60 डॉग बाइट के मामले सामने आते हैं।
पशु जन्म नियंत्रण नियम-2023 की अधिसूचना जारी कर दी गई, लेकिन इस पर किसी ने रुचि नहीं दिखाई। न तो शहरी सरकारें आगे आईं और न ही कॉलोनियों की विकास समितियां। ऐसे में श्वानों के रहन-सहन में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
1- श्वानों को सीमित क्षेत्र में रखने की रणनीति पर निगम काम करे।
2- पार्क, कॉलोनी और भीड़-भरे इलाकों से श्वानों को दूर रखा जाए।
3- बंध्याकरण को प्रभावी बनाया जाए और फीडिंग पॉइंट्स तय किए जाएं।
1- शास्त्री नगर सेक्टर-5 निवासी अनुभव चतुर्वेदी ने बताया कि कॉलोनी में एक श्वान पिछले कई दिनों से लोगों पर हमला कर रहा है। निगम की टीम ने उसे पकड़ा, इंजेक्शन लगाया और फिर छोड़ दिया।
2- डॉग बाइट की शिकायत पर निगम की टीम सिर्फ कुछेक जगह ही पहुंचती है। यदि श्वान का बंध्याकरण हो चुका है, तो टीम वापस लौट आती है।
1- स्थानीय निकायों के साथ मिलकर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को कॉलोनी में श्वानों के लिए एक जगह चिन्हित करनी थी और वहां भोजन उपलब्ध करवाना था। यदि लोग ऐसा न करें, तो निगम को यह काम करना था।
2- बंध्याकरण के लिए श्वानों को ले जाने से पहले कॉलोनी में सार्वजनिक नोटिस और बैनर लगाने का भी प्रावधान किया गया है।
3- जिन मादा श्वानों के बच्चे लगभग दो माह के हैं, उन्हें बंध्याकरण के लिए नहीं ले जाया जाएगा।
Updated on:
12 Aug 2025 10:45 am
Published on:
12 Aug 2025 10:28 am
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