31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यहां अफसर हैं पत्थर दिल: ‘दिल’ का इलाज अधर में, मशीनें धूल खा रहीं और बच्चे मौत से लड़ रहे, मामला जयपुर के इस अस्पताल का

जेके लोन अस्पताल की सीटीवीएस (दिल के मरीजों के लिए) यूनिट छह महीने से बंद पड़ी है। मैनपावर की कमी के चलते मशीनें धूल खा रही हैं। दिल के मरीज और बच्चे इलाज के लिए अधर में हैं, अफसर संवेदनाशून्य बने हुए हैं।

4 min read
Google source verification

जयपुर

image

Arvind Rao

Sep 10, 2025

Jaipur hospital

JK Lone hospital Jaipur

जयपुर: करोड़ों की लागत से बनी यूनिट, आधुनिक मशीनों से लैस वार्ड और उद्घाटन की अनगिनत घोषणाएं यानी सब कुछ मौजूद है, बस शुरू होने का नाम नहीं। जेके लोन अस्पताल की डेडिकेटेड पीडियाट्रिक कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) यूनिट छह महीने से बंद पड़ी है।


हालत यह हैं कि मशीनों की वारंटी आधी खत्म हो चुकी है, लेकिन बच्चों की हार्ट सर्जरी अब भी अधर में है। वजह वही पुरानी, ‘मैन पावर’ की कमी। नतीजा यह है कि मासूम मरीज निजी अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं और परिजनों की जेबें लाखों के बिलों से हल्की हो रही हैं।

ओपीडी में रोजाना 40 मरीज, महीने में मुश्किल से 8-9 सर्जरी

एसएमएस अस्पताल के सीटीवीएस विभाग की ओपीडी में रोजाना 30 से 40 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें से 3 से 4 नए केस होते हैं। कई बच्चों को तुरंत ऑपरेशन की जरूरत होती है, लेकिन संसाधनों की कमी और सर्जनों की सीमित उपलब्धता के कारण महीने में केवल 8-9 सर्जरी ही हो पाती हैं। आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से अगस्त 2024 तक एसएमएस अस्पताल में महज 66 बच्चों की सर्जरी हो पाई। इनमें भी गंभीर मामलों की संया बेहद कम रही।


गंभीर मरीज अब रेफर नहीं होंगे


इस यूनिट में अत्याधुनिक कैथ लैब, मॉडर्न ऑपरेशन थिएटर, 10 बेड का आईसीयू, 5 बेड का एचडीयू और 65 बेड का जनरल वार्ड बनाया गया है। इसका फायदा यह होगा कि अब बच्चों की सभी जांचें और ऑपरेशन यहीं हो सकेंगे और गंभीर मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर करने की मजबूरी नहीं रहेगी।


वादे बने कागजी, उद्घाटन की तारीखें बार-बार टलीं


पिछले छह महीनों में जिम्मेदार अधिकारियों ने कई बार उद्घाटन की तारीखें घोषित कीं। लेकिन हर बार वादे कागजों तक ही सीमित रह गए। यूनिट बंद पड़ी रही और मरीज निजी अस्पतालों की ओर रुख करने को मजबूर होते रहे।


20 करोड़ खर्च कर बनाई गई यूनिट, अब भी ताले में बंद


इन हालात को देखते हुए सरकार ने जेके लोन के दूसरे तल पर 20 करोड़ की लागत से विशेष सीटीवीएस यूनिट बनाई। जनवरी 2024 में कैथ लैब तैयार हो गई थी और मार्च में पूरी यूनिट बनकर तैयार हो चुकी थी। लेकिन छह महीने गुजरने के बाद भी यह शुरू नहीं हो पाई है। गौरतलब है कि यह राजस्थान में बच्चों के लिए सरकारी अस्पताल में बनी पहली डेडिकेटेड यूनिट है, जिसे लेकर परिवारों और विशेषज्ञों दोनों की उम्मीदें जुड़ी हुई थीं।


हो जाती सौ से ज्यादा बच्चों की सर्जरी


विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि यदि यह यूनिट समय पर शुरू हो जाती तो अब तक 100 से अधिक बच्चों की हार्ट सर्जरी हो चुकी होती। यहां रोजाना एक सर्जरी संभव है, जबकि एसएमएस अस्पताल में यह आंकड़ा महीने भर में सिर्फ 8-9 तक सीमित है।


मशीनों की वारंटी हो रही खत्म, स्टॉफ की ट्रेनिंग भी नहीं


जांच में सामने आया कि कैथ लैब को बने डेढ़ साल और पूरी यूनिट को छह महीने से अधिक हो चुके हैं। इस बीच मशीनों की गारंटी और वारंटी अवधि धीरे-धीरे खत्म हो रही है। हैरानी की बात यह है कि अब तक न तो स्टाफ की नियुक्ति हो पाई है और न ही उनकी ट्रेनिंग शुरू हो सकी। यहां तक कि ओपीडी भी शुरू नहीं की जा सकी है। इस संबंध में अधीक्षक डॉ. आरएन सेहरा का कहना है कि डॉक्टरों की नियुक्ति के बाद स्टॉफ लगाया जाएगा और पूरी तैयारी की जा रही है।


जेके लोन में सीटीवीएस यूनिट शुरू करने की पूरी तैयारी हो चुकी है। इसके लिए अलग से डॉक्टर और स्टॉफ नियुक्त कर दिए गए हैं। यूनिट को जल्द से जल्द शुरू करेंगे।
-डॉ. दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य, एसएमएस मेडिकल कॉलेज


सर्वर में खराबी, दवा की कतार में लगी महिला बेहोश


सवाई मानसिंह अस्पताल में इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम (आईएचएमएस) का इंटरनेट सर्वर मरीजों के लिए लगातार परेशानी का कारण बन रहा है। मंगलवार को लगातार दूसरे दिन तकनीकी खराबी के चलते मरीजों को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ा। धन्वंतरि ब्लॉक में दवा लेने के लिए कतार में खड़ी एक महिला बेहोश होकर गिर पड़ी।


अस्पताल सूत्रों के अनुसार, आईएचएमएस में सर्वर के धीमा चलने और अचानक ठप पड़ने की समस्या आम हो गई है। मंगलवार को ओपीडी के दौरान कुछ समय के लिए सर्वर बंद रहा, जबकि ज्यादातर समय इसकी गति अत्यंत धीमी रही। इस वजह से रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर दवा और जांच काउंटर तक लंबी कतारें लगी रहीं। मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी, खासकर महिलाएं और बुजुर्ग।


इस दौरान दवा काउंटर पर खड़ी एक वरिष्ठ नागरिक महिला अचानक बेहोश हो गई। वहां मौजूद एक युवती और अन्य मरीजों ने तुरंत उसकी मदद की और ट्रॉली मंगवाकर उसे भर्ती कराया। मरीजों का कहना है कि यह समस्या रोजमर्रा की हो गई है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। उनका कहना है, इसका खमियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है।