
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट
Jaipur Literature Festival 2025 : कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट आज जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल पहुंचे। उन्हें देखकर मीडिया ने सवालों की बौछार कर दी। जेएलएफ, महाकुंभ, केंद्रीय बजट, राजस्थान में अंग्रेजी स्कूल, सूर्य नमस्कार और जिले खत्म करने पर पूछे गए सवालों पर सचिन पायलट ने बेबाकी से जवाब दिया। जेएलएफ पर सचिन पायलट ने कहाकि मैं हर वर्ष जेएलएफ आता हूं। मुझे लगता है कि हम सब एक तरह से होस्ट हैं। जयपुर शहर में देश दुनिया से ढेर सारे लोग आते हैं। वैचारिक चर्चा होती है। मुझे लगता है कि जिस खुलेपन से इंटेलेक्चुअल, राइटर, आर्थर, थिंकर्स और अन्य क्षेत्र के लोग आते है तो एक माहौल बनता है। यह हमारे लिए खुशी की बात है। खासतौर से युवा पीढ़ी को, जितना ज्यादा हम उन विचार को सुनें जो हमसे मिलते नहीं हैं। जेएलएफ से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
महाकुंभ जाने के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा मुझे लगता है कि हर व्यक्ति को जो उसकी श्रद्धा है, आस्था है उसका निर्वहन करना चाहिए। लेकिन हर चीज में राजनीति नहीं देखना चाहिए। क्योंकि कुछ चीजें ऐसी होती है कि जो मेरा धर्म है, मेरी आस्था है। वो मेरा व्यक्तिगत मामला है। उसका राजनीतिकरण करना, उसका दिखावा व छुपाना दोनों मैं गलत मानता हूं। लेकिन संयम से रहना चाहिए। अपने को संतुलित रखना चाहिए। हर व्यक्ति को यह अधिकार है कि अपने मजहब, अपने धर्म का पूरा पालन करे।
जहां तक जेएलएफ की बात है तो मेरा यह मानना है कि जेएलएफ अब दुनियाभर में बहुत प्रसिद्ध हो चुका है। जेएलएफ के नाम से दुनियाभर में अलग-अलग फेस्टिवल होते हैं और यह बहुत खुशी की बात है कि इसका जो जन्म हुआ है वह जयपुर से हुआ है। सचिन पायलट ने कहा कि मैं आयोजकों को बता रहा था कि लोग बहुत आ रहे हैं। लेकिन हम सब को मिलकर जेएलएफ को और ज्यादा व्यापक बनाने की जरूरत है। उसमें शहर के लोग हों, आयोजक हो, सरकार हो और हमसब लोग हों। क्योंकि यह हमारे लिए इश्यू ऑफ प्राइड का मामला है।
जेएलएफ के इस आयोजन में हर फील्ड और हर फन के लोग आ रहे है। चाहे वो सांइस का हो या तकनीकी का हो। क्रिएटिव राइटिंग, हिस्टोरिन, अकैडमिशियन और कुछ-कुछ पॉलिटिशियन भी आते हैं। यह पर कुछ खट्टी-मिठ्ठी बहसें होती हैं। यह सब हमारे लोकतंत्र, हमारे गणतंत्र, हमारे खुले माहौल में चर्चा-सवांद करने की एक जो हमारी बहुत पुरानी परम्परा है, उसे आगे बढ़ाने का काम हो रहा है। हर बार कुछ-कुछ ऐसे आइडिया और लोग अपनी छाप छोड़कर जाते हैं, जिनसे हम लम्बे समय तक प्रभावित रहते हैं।
जयगढ़ फेस्टिवल के बारे में सचिन पायलट ने कहा कि जो फेस्टिवल होते हैं वो कल्चरल हैरिटेज को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। राजस्थान में सबसे अधिक देसी-विदेशी टूरिस्ट आते हैं। हमको जरूरत है कि अपनी धरोहर को संरक्षित रखने और उसे ढंग से प्रस्तुत करने की। दुनिया में ऐसे बहुत ही कम देश हैं जहां राजस्थान जैसा इतिहास, संस्कृति और कल्चर मिलेगा। जो भी आयोजन हो रहे हैं उससे पर्यटन का और इजाफा हो। लोगों को रोजगार मिलेगा। राजस्थान अपनी मेहमाननवाजी के लिए दुनिया में फेमस है। उसका हमें पूरा उपयोग करना चाहिए।
बजट पर अपने विचार रखते हुए सचिन पायलट ने कहा कि कल केंद्र सरकार का बजट है। राजस्थान की कहीं न कहीं हमेशा अनदेखी होती है। क्षेत्रफल के आधार पर राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है। आठ करोड़ लोग यहां रहते हैंं। कहीं न कहीं केंद्र सरकार ने एक गलत नजरिया अपना रखा है। यहां पर कोई राष्टीय परियोजना घोषित नहीं हो पा रही है। रेलवे लाइन हैं, बड़े बड़े प्रोजेक्ट हैं। उद्योग की दृष्टि से कुछ स्पेशल पैकेज या फिर स्पेशल स्टेट का दर्ज राजस्थान को नहीं मिला है। मैं उम्मीद करता हूं कि राज्य सरकार, केंद्र सरकार पर दबाव डालेगी कि यहां के लोगों ने भाजपा की सरकार बनाई है तो इसका कुछ फायदा तो मिले।
Budget 2025-26 : उम्मीद है राजस्थान को अधिक बजट आवंटित होगा
सचिन पायलट ने आगे कहा कि पिछले बजट में कमाल देखिए कि वित्त मंत्री ने राजस्थान का जिक्र ही नहीं किया। उम्मीद करता हूं कि कल जो केंद्र का बजट आएगा उसमें राजस्थान को अधिक बजट आवंटित होगा। जिससे योजनाएं, परियोजनाएं और निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी।
राजस्थान में अंग्रेजी स्कूल की समीक्षा के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि मैं इस पर बोल चुका हूं। सूर्य नमस्कार के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि मैंने विधानसभा में पूरा वक्तव्य दिया है। सरकार ने जो स्कूल बंद किए हैं, जिलों को खत्म किया है उस पर हम सरकार से पूरा जवाब मांगेंगे। सदन के पटल पर सरकार भाग नहीं सकती है। विपक्ष के नाते हमारी जिम्मेदारी बनती है कि जनादेश को आगे लेकर जाएं। अच्छे माहौल में चर्चा हो। मैंने आज भी स्पीकर महोदय से आग्रह किया है कि वो प्रत्येक विधायक के संरक्षक हैं, वो किसी पक्ष के नहीं हैं। अच्छे माहौल में चर्चा हो। सवाल पूछे जाएं, उसके जवाब मिले। चर्चाएं हो। जनता जो चाहती है, उसका जवाब सरकार और मंत्री दें, यह हम सबकी उम्मीद है। सत्र अच्छा चले, खूब चर्चा हो। जनता को लगे कि हमारे जनप्रतिनिधि हमारे हित की बात कर रहे हैं, यह बहुत जरूरी है।
Updated on:
01 Feb 2025 08:26 am
Published on:
31 Jan 2025 06:56 pm
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