8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan : 1.48 करोड़ रुपए से जयपुर की इन 6 ऐतिहासिक बावड़ियों का होगा जीर्णोद्धार, मिली मंजूरी

Rajasthan : जयपुर शहर की ऐतिहासिक 6 बावड़ियों का फिर से स्वरूप निखरेगा। वित्त विभाग व पर्यटन विभाग ने 1.47 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी कर दी है। अब एडमा जल्द ही शॉर्ट टर्म टेंडर लगाएगा। बारिश के बाद बावड़ियों के जीर्णोद्धार का काम शुरू होगा।

2 min read
Google source verification
Jaipur These 6 historical stepwells renovation with Rs 1.48 crore Finance and Tourism Department approval

काले हनुमान जी बावड़ी। फोटो पत्रिका

Rajasthan : जयपुर शहर की ऐतिहासिक 6 बावड़ियों का फिर से स्वरूप निखरेगा। काले हनुमानजी की बावड़ी सहित आमेर की प्राचीन बावड़ियों का जीर्णोद्धार होगा। सबसे पहले इन बावड़ियों का मिट्टी-मलबा निकाला जाएगा। इसके बाद चूना व सुरखी से प्लास्टर कर रंग-रोगन होगा। सीढ़ियों पर चेजा पत्थर की जगह बंशी पहाड़पुर के पत्थर लगाए जाएंगे। वहीं गेट और जालियों का काम भी होगा। इसके लिए 1.47 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री भजनलाल ने वर्ष 2025-26 के बजट भाषण में शहर की बावड़ियों के जीर्णोद्धार की घोषणा की थी। इसके लिए 1.48 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया। आमेर विकास प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) ने इसका प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भिजवाया। वित्त विभाग व पर्यटन विभाग ने 1.47 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी कर दी है। अब एडमा जल्द ही शॉर्ट टर्म टेंडर लगाएगा, इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अधिकारियों की मानें तो बारिश के बाद बावड़ियों के जीर्णोद्धार का काम शुरू होगा।

पहले भी हुआ काम

स्थानीय लोगों ने बताया कि इन बावड़ियों का जीर्णोद्धार 8-10 साल पहले भी हो चुका है, लेकिन इनकी नियमित सार-संभाल नहीं होने से इनमें मलबा-मिट्टी जमा हो जाती है। जगह-जगह से प्लास्टर उखड़ चुका है।

बावड़ी यानी सीढ़ीदार संरचनाएं

बावड़ी बारिश के पानी के भंडारण के लिए बनाई सीढ़ीदार संरचनाएं होती हैं। इनमें नीचे जल स्तर तक उतरने के लिए गलियारे और सीढ़ियां बनी होती हैं। इन्हें भूमिगत भवन की तर्ज पर विकसित किया जाता था जो सूखे मौसम में भी लोगों को पीने, नहाने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती थीं। पानी की उपलब्धता के साथ-साथ इनका उपयोग सामाजिक समारोहों, धार्मिक अनुष्ठानों और लोगों के इकट्ठा होने के स्थान के रूप में भी होता था।

किस बावड़ी पर कितना खर्च

बावड़ी - खर्च (लाख रुपए)
सियाराम डूंगरी की बावड़ी - 38
काले हनुमानजी की बावड़ी - 30
परियों का बाग की बावड़ी - 25
नाकू बावड़ी - 20
छिला की बावड़ी - 18
मंशा माता मंदिर की बावड़ी - 15

यों बदलेगी सूरत

1- बावड़ियों की होगी सफाई।
2- चूना व सुरखी से प्लास्टर कर होगा रंग-रोगन।
3- चेजा पत्थर की जगह लगाएंगे बंशी पहाड़पुर के पत्थर।
4- लोहे के गेट व जालियां भी लगाई जाएंगी।

यह मिलेगा फायदा

1- बावड़ियों का जीर्णोद्धार कर उनका स्वरूप लौटाया जाएगा, जिससे ये पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होंगी।
2- बावड़ियाें में पानी की आवक होगी तो आस-पास के क्षेत्रों का जलस्तर भी बढ़ेगा।

बावड़ियों को देखना पसंद करते हैं पर्यटक

राजधानी जयपुर आने वाले पर्यटक महल-किलों के साथ बावड़ियों को भी देखना पसंद कर रहे हैं, अगर बावड़ियों का मूल स्वरूप लौटता है तो निश्चित रूप से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
महेश कुमार शर्मा, अधिकृत पर्यटक गाइड