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राजस्थान के 11 प्रत्याशी ऐसे… जिन पर दहेज उत्पीड़न से लेकर मॉब लिंचिंग तक के केस, फिर भी चुनावी रण में

Lok Sabha Elections candidate Criminal cases : सुप्रीम कोर्ट दागी राजनेताओं के संसद-विधानसभा में प्रवेश पर गंभीरता और सख्ती दिखा रहा है, पर दागियों का राजनीति में प्रवेश रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। दाग भी ऐसे, जो समाज के लिए अच्छे नहीं है

जयपुरApr 08, 2024 / 10:49 am

Anil Prajapat

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Lok Sabha Elections 2024 : जयपुर। सुप्रीम कोर्ट दागी राजनेताओं के संसद-विधानसभा में प्रवेश पर गंभीरता और सख्ती दिखा रहा है, पर दागियों का राजनीति में प्रवेश रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। दाग भी ऐसे, जो समाज के लिए अच्छे नहीं है। एक प्रत्याशी हेट स्पीच, एक गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग और एक आचार संहिता उल्लंघन का आरोपी है तो एक दहेज उत्पीड़न और एक आर्थिक अपराध का दागी है। ऐसे भी है, जिन पर आंदोलन के दौरान हत्या के प्रयास, बलवा व राजकार्य में बाधा के आरोप है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में शामिल सीटों पर 11 प्रत्याशी ऐसे हैं, जो दामन दागदार होने के बावजूद मैदान में हैं। दागियों को रोकने के लिए नामांकन के शपथ पत्र में मुकदमों का खुलासा करने की अनिवार्यता सुप्रीम कोर्ट ने की। इस पर भी दागियों का लोकतंत्र के मंदिरों में प्रवेश नहीं रुका तो दलों को दागियों को टिकट देने की मजबूरी बताने के लिए विज्ञापन जारी करना अनिवार्य किया।

स्वयं दागियों को भी तीन बाद अपने मुकदमों के बारे में विज्ञापन जारी करने की बाध्यता की। इस सबके बावजूद निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ ही बड़े राजनीतिक दल भी दागियों को चुनाव मैदान में उतारने से परहेज नहीं कर रहे हैं।

 

राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग तैयार प्रारूप में दागियों को टिकट देने की मजबूरी का खुलासा करने के लिए विज्ञापन तो देते हैं, लेकिन अक्सर टिकट देने की मजबूरी बताने के लिए यही कहा जाता है कि प्रत्याशी जिताऊ है और आरोप सही नहीं हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दागियों के बारे में राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों को आपराधिक मामलों को लेकर विज्ञापन देने की अनिवार्यता है, लेकिन विज्ञापन के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है। राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों में भी विज्ञापन अंग्रेजी अखबारों या बढ़ा चढ़ाकर सर्कुलेशन बताने वाले अखबारों में दिए जाते हैं या चुनाव आयोग के प्रारूप के नाम पर तकनीकी भाषा में विज्ञापन दिए जाते हैं। टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन में भी आपराधिक मामलों की सूची को ठीक से नहीं दिखाया जाता और आपराधिक मामले शब्द का इस्तेमाल करने के बजाय प्रारूप सी-2 या अन्य निर्धारित प्रारूप का जिक्र कर सूची दिखा दी जाती है।

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प्रत्याशीनिर्दलीय या दल का नामलोकसभा क्षेत्रआराेप
रमेश कुमारनिर्दलीयचूरूगोरक्षा के नाम पर मारपीट व हत्या का प्रयास
डॉ. ओमप्रकाश मीना सेहरानिर्दलीयजयपुरदहेज प्रताड़ना व घरेलू हिंसा का आरोप
राजेन्द्र सिंह शेखावतनिर्दलीयझुंझुनूंभड़काऊ भाषण देने के दो मामले और एक में जालसाजी का आरोप
हजारीलालबहुजन क्रांति पार्टी (मार्क्सवाद-अंबेडकरवाद)झुंझुनूंअमानत में खयानत व धोखाधड़ी
धीरेन्द्र वर्माउम्मीद पार्टी ऑफ इंडियासीकरधमकाना, जबरन वसूली, फिरौती
शुभकरण चौधरीभारतीय जनता पार्टीझुंझुनूंचैक अनादरण के मामले
फजल हुसैनबहुजन समाज पार्टीअलवरआचार संहिता उल्लंघन

 

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प्रत्याशीनिर्दलीय या दल का नामलोकसभा क्षेत्रआराेप
हनुमान बेनीवालराष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टीनागौरराजकार्य में बांधा, पुलिस पर पथराव, मारपीट व हत्या का प्रयास
ललित यादवकांग्रेसअलवररेल पटरी पर प्रदर्शन व सरकारी संपत्ति पर पोस्टर लगाना
भजन लाल जाटवकांग्रेस-करौली-धौलपुरआरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदर्शन
अनिल चोपड़ाकांग्रेसजयपुर ग्रामीणलापरवाही से वाहन चलाना, बलवा, लोकसेवक की अवज्ञा, कानून के विरुद्ध भीड़ जमा करना व संपत्ति को खराब करना

 

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