
मानसून ने तोड़ा 108 का रिकॉर्ड (फोटो-पत्रिका)
Monsoon Update:जयपुर। रेगिस्तान कहलाने वाले राजस्थान में इस साल 108 साल बाद सबसे भारी मानसून दर्ज हुआ। जून से सितंबर के बीच राज्य में 701.6 मिमी बारिश हुई, जो बीते सदी से भी अधिक है। इसके बावजूद, राज्य के जल संसाधन विभाग के अनुसार राजस्थान के कुल 693 बांधों में से 93 आज भी पूरी तरह खाली पड़े हैं। इनमें 27 बड़े बांध शामिल हैं, जिनकी संयुक्त भंडारण क्षमता 4.25 मिलियन घन मीटर से अधिक है, जबकि 66 छोटे बांध भी बिल्कुल सूखे हैं।
राजधानी जयपुर के पास स्थित ऐतिहासिक रामगढ़ बांध कभी शहर की जीवनरेखा माना जाता था, लेकिन आज यह पूरी तरह बंजर और दरारों से भरा पड़ा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि खाली बांधों में पानी की कमी की वजह बारिश नहीं, बल्कि अतिक्रमण और उपेक्षा है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि 'पानी तो बरसता है, लेकिन वह बांध तक पहुंच ही नहीं पाता। बांध में मिलने वाली पांच सहायक नदियां अतिक्रमण के कारण पूरी तरह बंद हो गई हैं। आसपास की पहाड़ियों से आने वाला पानी भी दूसरी ओर मोड़ दिया जाता है। अगर कैचमेंट एरिया नहीं बचेंगे तो रिकॉर्ड बारिश भी बांधों को नहीं भर पाएगी।'
जयपुर सर्कल, जिसमें जयपुर, दौसा, झुंझुनूं, करौली, सीकर और सवाई माधोपुर जिले शामिल हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इस क्षेत्र के 44 बड़े बांधों में से 6 पूरी तरह खाली पड़े हैं। यहां औसतन 1,005.6 मिमी बारिश की तुलना में इस साल 31,174.5 मिमी बारिश हुई, फिर भी हालात जस के तस हैं। छोटे बांध भी प्रभावित हुए हैं, 50 में से 16 बिल्कुल खाली हैं।
सेवानिवृत्त प्रोफेसर रामाकांत शर्मा ने बताया कि 'शहर का फैलाव, सड़कों का जाल और खनन ने बांधों तक पहुंचने वाली प्राकृतिक धाराओं को खत्म कर दिया है। दौसा के रहुवास और भंडारी बांध इसका उदाहरण हैं। चाहे बारिश कितनी भी हो, ये बांध अब लबालब नहीं भरते।'
एक पानी संरक्षण कार्यकर्ता ने कहा कि 'हर मानसून हमारे लिए अवसर होता है, लेकिन जब बांध पानी रोक ही नहीं पा रहे तो अवसर बेकार चला जाता है। इतने रिकॉर्ड वर्षा के बावजूद सूखे बांध हमें चेतावनी दे रहे हैं कि योजना और संरक्षण के बिना जल सुरक्षा असंभव है। किसान यहां केवल एक ही फसल ले पा रहे हैं, क्योंकि पानी बेकार बह जाता है।'
जल संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कुल भंडारण पिछले साल से बेहतर है, लेकिन असमान वितरण असली समस्या है। जहां कुछ जिलों में बांध पूरी तरह भरे हैं, वहीं कई जगह सूखे पड़े हैं। यह साबित करता है कि केवल बारिश जल सुरक्षा की गारंटी नहीं है, जब तक कि कैचमेंट एरिया और प्राकृतिक धाराओं की रक्षा न की जाए।'
Updated on:
11 Sept 2025 07:12 pm
Published on:
11 Sept 2025 02:13 pm
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