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NHAI ने नियमों को किया कड़ा, ठेकेदारों पर कसी लगाम, अब नहीं चलेगी सब-कांट्रैक्ट की मनमानी

NHAI New Rules : भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने मनमाने ढंग से अन्य ठेकेदारों को सब-कांट्रैक्ट देने के प्रचलन पर रोक के साथ ही गुणवत्ता, समय सीमा में परियोजना को पूरा करने और वित्तीय पारदर्शिता के लिए नियमों में बदलाव किया है।

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NHAI Tightens Rules tightens reins on contractors no more arbitrary sub-contracting

फाइल फोटो पत्रिका

NHAI New Rules : नियमों की ढील का फायदा उठाकर राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाओं में मनमाने ढंग से काम करने वाले ठेकेदारों पर अब लगाम कसी गई है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने मनमाने ढंग से अन्य ठेकेदारों को सब-कांट्रैक्ट (उप-ठेका) देने के प्रचलन पर रोक के साथ ही गुणवत्ता, समय सीमा में परियोजना को पूरा करने और वित्तीय पारदर्शिता के लिए नियमों में बदलाव किया है।

आरएफपी प्रविधानों को किया गया कड़ा

एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आरएफपी प्रविधानों को कड़ा किया गया है। इससे केवल तकनीकी और वित्तीय रूप से सक्षम और अनुभवी ठेकेदार ही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का काम करने के लिए पात्र होंगे।

खुद की जगह थर्ड पार्टी की नहीं चलेगी सिक्योरिटी

एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक कई बार ठेकेदारों ने थर्ड पार्टी फाइनेंशियल सिक्योरिटी प्रस्तुत कर दी, जिससे जवाबदेही तय करने में पेंच फंसता है। ऐसा वित्तीय रूप से अक्षम ठेकेदार अन्य फर्म के साथ ज्वाइंट वेंचर करते हुए करते हैं। अब ऐसी परफार्मेंस सिक्योरिटी को फाइनेंशियल बिड के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

राजस्थान में भी आ रही थी परेशानी

अपनी वित्तीय सीमा से बड़ा ठेका लेने और उसे सब कॉन्ट्रैक्ट कर देने से कई बार यह देखा गया कि सड़क परियोजनाओं का काम समय पर पूरा नहीं होता और गुणवत्ता में भी कमी देखी गई। इससे सड़क परियोजनाओं पर भी सवाल उठते हैं और कानूनी प्रक्रियाओं की उलझन भी खड़ी हो जाती है।

राजस्थान में भी इस वजह से कई सड़क परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो सकी। कई सड़क परियोजनाओं की गुणवत्ता में भी कमी रही। जयपुर-गुड़गांव छह लेन हाइवे की बात हो या फिर दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे की बात हो। कई जगह काम समय पर पूरा नहीं हो रहा तो कई जगह गुणवत्ता में कमी सामने आई है। गलत टेंडर लेने पर अभी तक ठेकेादारों पर कोई कड़ी कार्रवाई भी नहीं हो पा रही थी। नियमों में बदलाव से ठेकेदारों पर धोखाधड़ी के केस भी चलाए जा सकेंगे।

नहीं चलेगी सब-कांट्रैक्ट की मनमानी

अभी तक सड़क बनाने वाले ठेकेदार बड़े स्तर की राजमार्ग परियोजनाओं की पात्रता नहीं रखने के बावजूद भी नियमों में ढील का फायदा उठा कर काम ले लेते थे और सब कांट्रैक्ट पर दे देते थे। अब ऐसा नहीं चलेगा। अब जो जिस कैटेगरी का पात्र ठेकेदार होगा, उसे उसी हिसाब से काम मिलेगा। यानी यदि किसी ने 100 करोड़ रुपए तक का कभी काम किया है तो उसे उसी स्तर की बोली लगाने की अनुमति होगी।

एनएचएआई ने स्पष्ट किया है कि ’’समान कार्य’’ से तात्पर्य केवल उन्हीं राजमार्ग परियोजनाओं से होगा, जो उनके द्वारा पूरी की जा चुकी हैं और उक्त परियोजना में भी वह घटक शामिल रहे हों, जिसके लिए अब वह निविदा भरने जा रहे हैं।